Agra’s Doctor Success Story: Life may be busy, It should not be Messy says Dr Vineet Chauhan #agra
आगरालीक्स.. आगरा के गेस्ट्रोएंट्रोलाजिस्ट डॉ. विनीत चौहान से मिलिए, मरीजों से फुर्सत नहीं है, मोबाइल, मीटिंग, मेल, फैमिली और हेल्थ, इनसे सीखें जिंदगी व्यस्त भले हो, अस्त-व्यस्त नहीं होनी चाहिए।
आगरा में आज हम आपको एक ऐसे डाॅक्टर के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका मानना है कि जिंदगी व्यस्त भले हो, अस्त-व्यस्त नहीं होनी चाहिए। आगरा के वरिष्ठ पेट, आंत एवं लिवर रोग विशेषज्ञ डाॅ. विनीत चौहान एक ऐसा नाम हैं जिन्हें उनकी विनम्रता के लिए पहचाना जाता है। अधिकांश लोगों का कहना है कि उनसे परामर्श के लिए आए मरीज तो उनके इस स्वभाव की वजह से ही आधे ठीक हो जाते हैं।
क्या आपको भी लगता है कि आपकी जिंदगी बहुत व्यस्त, तनावपूर्ण और भागदौड़ भरी है ? अगर हां तो डाॅ. विनीत चौहान के बारे में जानिए। मरीजों से एक पल की फुर्सत नहीं है। ओपीडी में देखना है, जरूरत हो तो भर्ती करना है, सुबह-शाम राउंड करने हैं, सभी का प्रेस्क्रिप्शन तैयार करना है और इसके बाद एंडोस्कोपी व फाॅलोअप भी करनी है। इतने सब के बाद भी फोन पर परामर्श, मैसेज और इमरजेंसी होने पर फिर से अस्पताल भागने का सिलसिला जारी रहता है। कई-कई बार तो रातों की नींद ही छिन जाती है जब कोई मरीज ज्यादा बीमार होता है या ठीक होने के बाद दोबारा तबियत बिगड़ जाती है। कुछ अनचाहा हो जाने पर अटेंडेंट का गुस्सा और दोषारोपण भी झेलना है। इतनी आपाधापी और सरपट भागती चीजों के बीच भी डाॅ. चौहान से पूछा जाता है आखिर वे इतने विनम्र कैसे हैं, क्या कभी कोई चिंता नहीं होती या खुद को इतना शांत कैसे रखते हैं।

डाॅ. चौहान इसका जवाब कुछ यूं देते हैं कि उनकी पढ़ाई नैनीताल में सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से हुई और इन स्कूलों में अनुशासन बहुत उच्च स्तर का होता है। बस यहीं से अनुशासन, ईमानदारी, समयबद्धता और समर्पण को आत्मसात कर लिया। जब डाॅक्टरी के प्रोफेशन को चुना तभी पता था कि यहां सबसे अधिक मेहनत की जरूरत है। इसलिए वे अपने हर एक मरीज को पूरा समय देते हैं। बीमार व्यक्ति वैसे ही परेशान होता है, ऐसे में विनम्रता का यह स्पर्श भी उसे ठीक होने में काफी मदद करता है। मरीजों और उनके साथ अस्पताल आने वालों से वे कहना चाहते हैं कि डाॅक्टर कोई भगवान नहीं है, जीना-मरना ईश्वर के हाथ में है हम तो बस एक जरिया हैं जो आपकी जीवन रक्षा के लिए 100 फीसद कोशिश कर सकते हैं। अपना विश्वास कभी कम न होने दें। वहीं युवाओं के लिए उन्होंने कहा कि बचपन से ही हमें समय का सदुपयोग करने को कहा जाता है लेकिन हममें से कुछ इस पर अमल करते हैं तो कुछ नहीं। समय का जैसा इस्तेमाल हम करेंगे उसी तरह के नतीजे सामने आएंगे। सभी के लिए दिन में 24 घंटे हैं, जो भी इनका उपयोग सही तरीके से करता है सफलता को जरूर छूता है।
जानिए डाॅ. विनीत चौहान की दिनचर्या
- सुबह 5 बजे उठना।
- 6.30 बजे तक खुद की फिजिकल एवं मेंटल हैल्थ के लिए बैडमिंटन और टेबल टेनिस खेलना।
- 8 बजे घर वापस आकर ब्रेकफास्ट और बाकी के काम।
- 9.30 बजे हाॅस्पिटल में अपनी ओपीडी पहुंचना और शाम 7 बजे तक मरीजों को देखना, राउंड करना, उपचार की प्रक्रिया में व्यस्त रहना।
- शाम 7 बजे घर वापस आकर परिवार को समय देना।
- रात 8 बजे भोजन और 10 बजे सोने का समय।