Aryavart Bank install 150 Cash Recycler machine
आगरालीक्स… आगरा की एक ऐसी बैंक होगी जिसके एटीएम में कैश खत्म नहीं होगी। आर्यवर्त बैंक जून 2020 तक 26 जिलों की सभी शाखों में 150 कैश रीसाइक्लर लगाने जा रहा है। आगरा के खाते में 10 कैश रीसाइक्लर आएंगे। कैश रीसाइक्लर लगने से बैंकों पर काम के साथ आर्थिक बोझ भी कम होगा। ग्राहक यहां से पैसा निकालने के साथ पैसा जमा भी कर सकेंगे। यह जानकारी आर्यवर्त बैंक के चेयरमैन एसबी सिंह ने रघुनाथ नगर स्थित आर्यवर्त बैंक में प्रेस वार्ता के दौरान दी। बताया कि ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यवर्त में इलाहबाद यूपी बैंक ऑफ ग्रामीण के शामिल होने के बाद पहली बार आगरा में मंगलवार को बोर्ड मीटिंग आयोजित की गई है। बुधवार को जिले की सभी 50 खाखाओं की ब्रांच मैनेजर मीटिंग का आयोजन किया गया।
एसबी सिंह ने बताया कि अभी तक आर्यवर्त के एटीएम नहीं है। लेकिन जून माह तक ग्राहकों को एटीएम से भी बेहतर सुविधा कैश रीसाइक्लर मिलने जा रहे हैं। जहां ग्राहक पैसा निकलाने के साथ जमा भी कर सकेंगे। यह आउट सोर्सिंग पर चलेंगे, जिसमें ग्राहकों द्वारा जमा किया गया पैसा सेगरीगेट होकर ग्राहकों द्वारा निकालने के लिए तैयार हो जाएगा। इससे एटीएम में पैसा जमा करने वाली एजेंसी सहित कई खर्चे कम हो जाएंगे। यानि बैंक से आर्थिक व काम का बोझ कम होगा। इस अवसर पर मुख्य रूप से आर्यवर्त बैंक के निदेशक प्रमोद कुमार, राम कृष्ण, जीएम रणजीत सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक एके राठी, ऋषि शर्मा, मणीकांत कुलश्रेष्ठ, श्री श्रीवास्तव, टीपीएस राणा, विशाल सिंह, अरविन्द पांडे आदि मौजूद थे।
20 मार्च तक वार्षिक लक्ष्य पूरा करने के निर्देश
आगरा। रघुनाथ नगर स्थित ब्रांच मैनेजर मीटिंग में चेयरमैन एसबी सिंह ने 20 मार्च तक वार्षिक लक्ष्य पूरा करने के लिए निर्देशित किया। सरकारी योजनों में प्राप्त आवेदन प6 का निस्तारण एक सप्ताह में पूरा करने के साथ जनधन योजना में खाता धरकों को (जिन्हें कहीं से भी लोन नहीं मिला है) क्रेडिट लिंकिंग करके प्रधानमंत्री जनधन योजना में कवर करने को कहा।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए फार्मिंग डायवर्सिटि जरूरी
आगरा। 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने के साथ देश को र्थव्यवस्था की ऊंचाइयों तक ले जाने का सरकार का सपना पूरा करने के लिए फार्मिग डायवर्सिटी (खेती में विविधता) लानी होगी। आद्योगिक विकास में बैंकर्स को विशेष योगदान है। खाद्यान जरूरत के हिसाब से पैदा हो रहा है। उत्पादन बढ़ाने से दाम गिरेंगे। जिसका फायदे किसान को नहीं हो पाएगा। इसलिए ऐसे किल्सटर विकसिक करने होंगे, जिससे उत्पादन का इंडस्ट्रीयल प्रयोग हो सके। शीरे से इथेनॉल बनाने में खर्च अधिक आता है। गन्ने से इथेनॉल बनाने से खर्चा कम और गन्ने की इंडस्ट्रीयल मांग होने से किसानों को भी लाभ हो सकेगा। इसी तरह जेनरिक मेडिसिन व हार्टीकल्चर में भी बहुत सम्भावनाएं हैं। किसान के साथ सर्विस सेक्टर को भी फायदा होगा। शहर में केन्द्रित विकास को गांव तक ले जाना है।
एक-एक जिले के बैंक थे, जिनका दायरा बढ़ा है। यहां की आवश्यकताओं को समझा
संयुक्त रूप से काम करें तो अच्छे परिणाम आएंगे। प्रशासनिक मशीनरी और बैंक गांव में एक साथ जाएंगे।