Agra’s Businessman Wife dead body found Markandey Ghat in Kashi
Behavior scientist Dr. Naveen Gupta gives tips to make the workplace enjoyable for the employees…#agranews
आगरालीक्स…नकारात्मकता से भरा माहौल भरोसे और संचार में दरार लाता है, बिहेवियर साइंटिस्ट डाॅ. नवीन गुप्ता ने वो गुण बताए जिससे सहकर्मी टांग खिंचाई नहीं करेंगे, एक-दूसरे को नीचा नहीं दिखाएंगे, कार्यस्थल आनंदित करेगा
आगरा में बिहेवियर साइंटिस्ट डाॅ. नवीन गुप्ता ने हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड कंप्यूटर स्टडीज (एचआईएमसीएस), हिंदुस्तान कॉलेज, आनंद कॉलेज के एंपलाईज को कार्यस्थल को आनंदित बनाने वाले मंत्र दिए। कहा कि उन्नति और सफलता सब चाहते हैं लेकिन इसके लिए किसी को नीचा दिखाना, भेदभाव करना, जलन, ईर्ष्या या नफरत की भावना रखना जरूरी नहीं है।
दरअसल नेशनल चैंबर्स आफ इंडस्ट्रीज एंड काॅमर्स आगरा के सहयोग से संस्थान में स्टाफ डवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया था। इसमें एचआईएमसीएस के निदेशक और बिहेवियर साइंटिस्ट डाॅ. नवीन गुप्ता ने कर्मचारियों को स्वयं को मोटिवेट करने के टिप्स दिए। कहा कि कार्यस्थल को आनंदित बनाना कर्मचारी और कंपनी दोनों के हित में होता है। प्राइवेट कंपनी हो या सरकारी दफ्तर, वहां तरक्की ज्यादा समय तक काम करने से नहीं होती बल्कि कर्मचारियों और अधिकारियों में काम के प्रति समर्पण, अपनत्व, सकारात्मक भावना, सोच, बिना एक-दूसरे को नीचा दिखाए सभी की भागीदारी, साझीदारी व सहयोग से होती है। इसके विपरीत कार्यस्थल का नकारात्मक माहौल जैसे चुगली करना, एक-दूसरे को नीचा दिखाना, टांग-खिंचाई करते रहना, लड़ाई-झगड़े का माहौल रखना, ईर्ष्या, जलन या नफरत का भाव रखना न तो कंपनी के हित में होता है और न ही वहां काम करने वालों के हित में।
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वैज्ञानिक कारणों की ओर इशारा करते हुए डाॅ. गुप्ता ने कहा कि किसी साथी पर जब हम गुस्सा होते हैं तो शरीर में एड्रेनालाइन और काॅर्टिसोल नामक हार्मोन रिलीज होने लगते हैं जो हमसे बुरा काम करा सकते हैं। इसलिए हमें इस तरह की भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और कार्यस्थल को सुंदर व आनंदित करने वाला वातावरण प्रदान करना चाहिए। नेशनल चंैबर आॅफ इंडस्ट्रीज एंड काॅमर्स आगरा के अध्यक्ष शलभ शर्मा ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं विभिन्न व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, स्कूल-काॅलेजों में होना जरूरी हैं इसलिए वे इसकी सिफारिश करते हैं कि आगरा के अन्य प्रतिष्ठान भी आगे आएं। अपने यहां यह कार्यशालाएं आयोजित कराने के लिए वे डाॅ. नवीन गुप्ता से मदद भी ले सकते हैं। काम करने के एटीट्यूट में परिवर्तन और सकारात्मक सोच से बहुत सारे व्यवसाय-धंधे, कंपनी, प्रतिष्ठान उपर उठ सकते हैं और यह एक छोटी सी दिखने वाली पहल बड़ा इकोनोमिक परिवर्तन भी ला सकती है। इसी तरह शहर से राज्य और राज्य से देशों की अर्थव्यवस्था में सुधार और विकास हो सकता है।