बंगलूरू निवासी एस रमन ने बताया कि उनके बेटे राजीव और परिचित के बेटे प्रभु ने इंटरनेट पर शिपिंग कंपनी में नौकरी का विज्ञापन देखकर कागारौल के एजेंट को फोन किया। एजेंट ने 1.15 लाख रुपये में एक युवक की मलेशिया की शिपिंग कंपनी में नौकरी लगवाने की बात कही। उसने ईमेल पर दोनों युवकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र और बायोडाटा मंगाया। सितंबर में एजेंट ने कान्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर कराने के लिए दिल्ली बुलाया। यहां से आगरा लाया और रकाबगंज स्थित एक होटल में रोका। यहां दोनों युवकों से 2.30 लाख रुपये लेने के बाद मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। चार दिन बाद भी एजेंट से संपर्क नहीं हुआ तो युवक दिल्ली चले गए। वहां नहीं मिलने पर आगरा लौट आए। तब एजेंट ने उनसे मुलाकात की। इसके बाद दस नवंबर को चेन्नई से दोनों युवकों को फ्लाइट से मलेशिया भेज दिया। वहां शिपिंग कंपनी के एजेंट ने दोनों को बताया कि भारत के एजेंट ने उन्हें रुपये नहीं दिए हैं। इसीलिए तुम दोनों रुपया दो। मना करने पर उनके पासपोर्ट और वीजा जब्त कर लिए। युवकों ने घरवालों को फोन पर ये जानकारी दी। घरवालों ने थाना रकाबगंज में बुधवार को शिकायत की।
पुलिस की मौजूदगी में दिया था चेक
घरवालों का कहना है कि ठगी की आशंका पर दोनों युवकों ने पहले ही फोर्ट पुलिस चौकी पर शिकायत की थी। इसके बाद एजेंट को बुलाया गया तो उसने नौकरी लगवाने का आश्वासन दिया था। पुलिस के सामने ही गारंटी के तौर पर 2.30 लाख रुपये का चेक भी दिया। कहा कि काम नहीं होने पर ये रकम निकाल लेना। मगर जिस चेक पर जो खाता नंबर था, वह बंद हो चुका है।