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Holashtak from 17th March, complete auspicious tasks quickly, there will be a break for a few days
आगरालीक्स…होली की तैयारियां तेज। होलाष्टक 17 मार्च से। शुभ कार्यो में लग जाएगा ब्रेक। जानें आखिर क्यों शुभ कार्य नहीं होते…
होली से आठ दिन पहले लगते हैं होलिकाष्टक
ब्रज में होली की तैयारियां चल रहा हैं। ब्रज के मंदिरों में होली के आयोजन भी हो रहे हैं। इसके साथ होली से आठ दिन पहले लगने लगने वाले होलाष्टक इस बार 17 मार्च से शुरू हो रहा हैं।
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होते हैं शुरू
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भण्डार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलाष्टक आरंभ होगा, जो होलिका दहन यानी पूर्णिमा तक रहेगा। होलाष्टक को होलिका अष्टक अथवा होलिकाष्टक भी कहा जाता है।
प्रकृति में आ जाती है नकारात्मकता ऊर्जा
उन्होंने बताया कि इस दौरान प्रकृति के वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इसके चलते विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश आदि मंगल कार्य पूरी तरह वर्जित रहेंगे। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन धुलंडी पर्व मनाया जाएगा।
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का समय
साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9:57 बजे से शुरू होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन 25 मार्च को दोपहर 12:29 बजे होगा। होली के बाद ही शुभ कार्य होंगे।
भगवान विष्णु और कुलदेवी-देवता की पूजा करें
उन्होंने बताया कि होलाष्टक के दौरान पूजा-पाठ करने और जप-तप करने का विशेष महत्व है। इस दौरान भगवान विष्णु और अपनी कुलदेवी, देवताओं की पूजा-अर्चना करनी है।
भगवान राम कृष्ण की अबीर-गुलाल लगाकर पूजा
मान्यता है कि होलाष्टक ही वह अवधि थी, जब भक्त प्रहलाद को उसके पिता हिरण्यकश्यप ने यातनाएं दी थी। इसलिए इस अवधि में बड़ों का सम्मान व बच्चों से प्रेम करना चाहिए। रोज पूजा-पाठ के समय भगवान राम व कृष्ण को अबीर और गुलाल लगाने के साथ पूजा-पाठ करना चाहिए।