आगरालीक्स(02nd October 2021 Agra News)… शारदीय नवरात्रि में जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त. घट स्थापना के नियम.
अलीगढ़ के पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि इस बार सात अक्टूबर को घरों में घट या कलश स्थापना की जाएगी। दुर्गा पूजा काल में सूर्य औरव चंद्रमा दोनों ही कन्या राशि में रहेंगे।
कलश स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त
दिवाकाल (सुबह) 10:40 से दोपहर 1:35 के बीच में तीन विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त होंगे। इसी समय में अभिजीत मुहूर्त रहेगा, जो इस दिन का सर्वोत्तम घट स्थापना का मुहूर्त कहा जाएगा। इसमें व्यापारी, कल—कारखाने शिक्षा क्षेत्र से लगे लोग और गृहस्थ व्यक्तियों के लिए घट स्थापना का अति उत्तम शुभ मुहूर्त है। इस समय में घट स्थापना करने से पूजा पाठ करने से हर प्रकार की खुशहाली सुख समृद्धि व्यक्तियों को प्राप्त होगी।
नौकरी पेशा करने वाले इस समय करे स्थापना
उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 18 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 45 मिनट तक शुभ मुहूर्त उपलब्ध रहेगा। नौकरी पेशा लोगों के लिए यह घट स्थापना के लिए उत्तम शुभ मुहूर्त माना जाएगा। इस मुहूर्त में घट स्थापना करने से व्यक्ति को हर प्रकार की सुख समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होंगे।
शारदीय नवरात्रि में ऐसे करें कलश स्थापना
नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी मां की आराधना करने से मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। घट स्थापना का मतलब है कलश की स्थापना करना।
कलश स्थापना में इन चीजों का करें प्रयोग
कलश स्थापना करते समय नदी की रेत का उपयोग करें। इस रेत में जौ भी डालें। इसके बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। फिर ‘ॐ भूम्यै नमः’ कहते हुए कलश को सात अनाजों के साथ रेत के ऊपर स्थापित करें। कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलते रहना चाहिएं
कलश स्थापना करने को खास नियम
कलश स्थापना करने के लिए पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाएं। इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करेंं
कलश का मुंह खुला ना रखें, उसे किसी चीज से ढक देना चाहिए. कलश को किसी ढक्कन से ढका है, तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
अगर कलश की स्थापना कर रहे हैं, तो दोनों समय मंत्रों का जाप करें। चालीसा या सप्तशती का पाठ करना चाहिए। पूजा करने के बाद मां को दोनों समय भोग लगाएं, सबसे सरल और उत्तम भोग हैं लौंग और बताशा।
लाल फूल चढ़ाएं
मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है। पर मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल ना चढ़ाएं। नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिन तक अपना खान-पान और आहार सात्विक रखें।
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