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Kharmas start from 15th December #agranews

आगरालीक्स… शादी-विवाह समेत कोई भी मांगलिक कार्यक्रम करना चाह रहे हैं तो एक सप्ताह में निपटा लें। वरना एक महीने करना पड़ेगा इंतजार।

खरमास 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक
खरमास 15 दिसंबर से 14 जनवरी 2021 तक लग रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक सूर्य के बृहस्पति की धनुराशि में गोचर करने से खरमास शुरू होता है। यह स्थिति मकर संक्रान्ति तक रहती है। इस कारण मांगलिक कार्य नहीं होते है। जैसे ही सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तभी से खरमास आरम्भ हो जाता है। इसी के साथ शादी विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्य निषेध हो जाते है। इस माह में सूर्य धनु राशि का होता है। ऐसे में सूर्य का बल वर को प्राप्त नहीं होता।


जनेऊ, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश नहीं होंगे
इस वर्ष 15 दिसंबर की रात 03:42 से 14 जनवरी 2022 दोपहर 02:28 तक सूर्य के मकर राशि मे प्रवेश करने तक तक खरमास रहेगा। वर को सूर्य का बल और वधू को बृहस्पति का बल होने के साथ ही दोनों को चंद्रमा का बल होने से ही विवाह के योग बनते हैं। खरमास शुरू हो जाने से विवाह संस्कारों पर एक माह के लिए रोक लग जाएगी। साथ ही अनेक शुभ संस्कार जैसे जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश भी नहीं किया जाएगा। भारतीय पंचांग के अनुसार सभी शुभ कार्य रोक दिए जाएंगे।
शुभ कार्यों को करने की है मनाही
हिन्दू धर्म ग्रंथों में इस पूरे महीने में किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही है। जब गुरु की राशि धनु में सूर्य आते हैं तब खरमास का योग बनता है। वर्ष में दो मलमास पहला धनुर्मास और दूसरा मीन मास आता है। यानी सूर्य जब-जब बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करता है तब खर या मलमास होता है क्योंकि सूर्य के कारण बृहस्पति निस्तेज हो जाते हैं। इसलिये सूर्य के गुरु की राशि में प्रवेश करने से विवाह संस्कार आदि कार्य निषेध माने जाते हैं।
दक्षिण भारत में कम है मान्यता
विवाह और शुभ कार्यों से जुड़ा यह नियम मुख्य रूप से उत्तर भारत में लागू होता है जबकि दक्षिण भारत में इस नियम का पालन कम किया जाता है। मद्रास, चेन्नई, बेंगलुरू में इस दोष से विवाह आदि कार्य मुक्त होते हैं
खरमास में व्रत का महत्व
जो व्यक्ति खरमास में पूरे माह व्रत का पालन करते हैं उन्हें पूरे माह भूमि पर ही सोना चाहिए. एक समय केवल सादा तथा सात्विक भोजन करना चाहिए। इस मास में व्रत रखते हुए भगवान पुरुषोत्तम अर्थात विष्णु जी का श्रद्धापूर्वक पूजन करना चाहिए तथा मंत्र जाप करना चाहिए. श्रीपुरुषोत्तम महात्म्य की कथा का पठन अथवा श्रवण करना चाहिए।

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