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Makar Sankranti : the morning of the gods
आगरालीक्स… मकर संक्रांति का पर्व इस बार भी गुरुवार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति का भारतीय संस्कृति में काफी महत्व है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य किए जाते हैं। कई स्थानों पर पतंग उत्सव होते हैं। इसके साथ ही शुभ कार्य भी शुरू हो जाते हैं।
दिन बढ़ेंगे, रात होंगी छोटी
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है। इस दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन कर दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। उत्तरायण को देवताओँ का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है। इस तरह यह देवताओं का प्रभातकाल है। इसको अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है। मकर संक्रांति से दिन बढ़ने लगता है और रात छोटी होने लगती है। इससे प्रकाश अधिक और अंधकार कम होने लगता है। फलस्वरूप प्राणियों की चेतनता व कार्यक्षमता में वृद्धि होने लगती है।
दान-पुण्य का फल अक्षय
मकर संक्रांति पर किए गए स्नान, तर्पण, दान और पूजन का फल अक्षय होता है। इससे मनुष्य सभी प्रकार के भोगों के साथ मोक्ष को प्राप्त होता है। इस दिन खिचड़ी खाना, खिचड़ी, तिल, घी, ऊनी वस्त्र दान देने का विशेष महत्व है।
पोंगल व बिहू भी इसी दिन
दक्षिण भारत में इस पर्व को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। असम मे बिहू के रूप में जाना जाता है। पंजाब आदि में इसे लोहिणी के रूप में मनाया जाता है।
सूर्य देव की आराधना
सूर्य देव का इस दिन स्नान कर पूजन किया जाता है और जल चढ़ाया जाता है। भगवान सूर्य का संक्रांति काल परम फलदायी होता है। संक्रांति के दिन किए गए दान का विशेष महत्व है।