केंद्रीय हिंदी संस्थान रोड पर जल निगम की पायका योजना के तहत सीवेज पम्पिंग स्टेशन है। इसके द्वारा शहर के नालों से आने वाले गंदे पानी को पंप कर ट्रीटमेंट प्लांट तक भेजा जाता है, इसके लिए एक बडा कुआं बना हुआ है। इस पर सुपवाइजर अंकित काम करता है और उसी परिसर में उसके परिजन रहते हैं। जबकि सफाई कर्मचारी करन और सोनू ठेकेदार के अंडर में काम करते हैं। दोपहर ढाई बजे कुएं की पंप खराब होने पर उसे बदलने के लिए करन कुएं में नीचे उतरा, कुएं में मिथेन गैस होने पर वह बेहोश हो गया और सीढी पर ही गिर गया, इसे देख सोनू नीचे उतरा तो वह भी बेहोश हो गया, इसके बाद पडोस में रहने वाला दीपक नीचे उतरा तो वह भी बेहोश हो गया। उन्हें बचाने के लिए सनी का भाई अंकित उतरा तो उसके भी पैर लडखडाने लगे, अंकित ने सनी को बाहर निकाल लिया। इसके बाद वह अन्य लोगों को बाहर निकालने के लिए नीचे उतरा तो वह भी बेहोश हो गया।
सब देख रहे थे डॉक्टर कुएं में उतरे
कुएं के चारो तरपफ भीड लगी हुई थी, दमकल कर्मी और पुलिस वाले भी गैस के चलते कुएं में उतरने का साहस नहीं दिखा सके। तभी वहीं पास में निजी क्लीनिक चला रहे डॉ तपेंद्र सिंह आए और कुएं में उतर गए। उन्होंने दीपक को बाहर निकाला, इसके बाद अंकित को बाहर निकलवाया। दोनों की सांसे चल रही थी। उन्हें हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक अंकित की मौत हो चुकी थी। इस हादसे में सोनू और करन की भी मौत हो गई है।
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