सैयद अली शाह गिलानी लगभग तीन माह बाद दिल्ली से श्रीनगर पहुंचे। जहां कट्टरपंथी मसर्रत आलम ने आसपास मौजूद सुरक्षाकर्मियों को ठेंगा दिखाते हुए पाकिस्तानी झंडा लहराते हुए अपने नेता का स्वागत किया। हालांकि गिलानी दोपहर 2.20 बजे श्रीनगर एयरपोर्ट पर पहुंचे, लेकिन उनके समर्थक हैदरपोरा से लेकर एयरपोर्ट तक सुबह से ही डट गए थे। इसी रास्ते में पुलिस मुख्यालय भी है। गिलानी के समर्थकों के जुलूस में एक नहीं कई पाकिस्तानी झंडे थे। इस दौरान मसर्रत आलम ने सबसे पहले नारा लगाया तेरी जान-मेरी जान पाकिस्तान और हाफिज सईद से नाता क्या ला-इलाहा-इल्लिहा।
गिलानी ने अपने समर्थकों को लगभग 22 मिनट तक संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर अपने चिरपरिचत अंदाज में भारत को लताड़ते हुए कहा कि कश्मीरियों को हक-ए-खुद इरादियत मिलने तक यह मुहिम जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब यहां से भारत को भागना होगा। उन्होंने त्राल की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि आज हमारे नौजवानों ने अगर बंदूक उठाई है तो कश्मीर में भारत के जबरन कब्जे के खिलाफ उठाई है। एक नौजवान को हिरासत में मारा गया है।
उन्होंने 17 अप्रैल के त्राल चलो मार्च के अपने आह्वान को दोहराते हुए कहा कि उस दिन वादी में सभी जगह से लोग त्राल के लिए निकलें। मैं खुद भी त्राल के लिए निकलूंगा। कश्मीरी पंडितों की वापसी का सशर्त स्वागत करते हुए गिलानी ने कहा कि हम किसी को भी उनके लिए अलग कॉलोनी नहीं बनाने देंगे।
मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद तो दिल्ली की कठपुतली हैं और वह आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां इस्रायल की तरह कश्मीरी पंडितों की कॉलोनी बसाकर कश्मीरी मुस्लिमों को सामाजिक व सियासी तौर पर कमजोर बनाने की साजिश हो रही ह। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित हमारे भाई हैं, वह यहां आकर कश्मीरी मुस्लिमों के साथ पहले की तरह रहें।
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