
कौन थे परिक्षित और श्रीमद भागवत कथा
अर्जुन और सुभद्रा के नाती और अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र परिक्षित के समय में ही कलयुग का आगमन हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि कलयुग जब पृथ्वी पर आए तो परिक्षित से उनकी भेट हुई। धर्मात्मा परिक्षित ने कलयुग से कहा कि तुम्हारा यहां कोई काम नहीं है, यहां सभी धर्म के पालन करने वाले लोग रहते हैं, इस पर कलयुग ने परिक्षित से रहने का स्थान मांगा। इस पर परिक्षित न कह दिया कि जहां लोग शराब पीते हैं, जुआ खेलते हैं, आप वहां जाकर रहिए। कुलयुग ने कहा कि क्या महाराज में सोने आभूषण में भी रह सकता हूं। इस पर परिक्षित ने हां कर दी, महाराज परिक्षित सोने का मुकुट पहने हुए थे, कुलयुग परिक्षित के मुकुट में बैठ गए और उनकी बुदिध् को फेर दिया। इसी बीच परिक्षित को प्यास लगी, वहां एक ऋषि मुनि तपस्या में लीन थे, परिक्षित को लगा कि मुनि जान बूझकर उन्हें पानी नहीं पिला रहे हैं। इस पर कलयुग के माया जाल में फंसकर कर परिक्षित ने मुनि के गले में मृत सांप डाल दिया। जब यह मुनि के बेटे को पता चला तो उन्होने परिक्षित को श्राप दे दिया कि सात दिन में तुझे सांप डस लेगा। मुनि जब तपस्या से उठे तो उन्होंने मृत सांप गले में डालने पर धर्मात्मा परिक्षित को कठोर श्राप दिए जाने से मुनि दुखी हुए। उन्होंने अन्य मुनियों से परिक्षित के उदृधार के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि सात दिन तक श्रीमद भागवत कथा परिक्षित सुने तो उनका उदृधार होगा। इसके बाद से श्रीमद भागवत कथा होने लगी और इसे सुनने के लिए परिक्षित भी बनाए जाते हैं जो सपत्नीक भागवत कथा सात दिन तक सुनते हैं।
Leave a comment