आगरालीक्स(4th August 2021 Agra News)…। प्रदोष व्रत गुरुवार को है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। गुरु प्रदोष व्रत को काफी महत्वपूर्ण माना गया है।
गुरु प्रदोष कल्याणकारी
सावन का हर दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस माह रुद्राभिषेक का काफी महत्व है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत भी फल देने वाला है। प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। सावन मास में इस बार गुरु प्रदोष व्रत पड़ रहा है। शास्त्रों में गुरु प्रदोष व्रत को बहुत ही कल्याणकारी माना गया है।
प्रदोष काल मेें करें पूजा
प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं। इसके बाद भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं। दिनभर उपवास रखें। इसके बाद प्रदोष काल की बेला में भगवान शिव को स्नान कराएं। दूध, दही, घी, शहद, शक्कर या बूरा से स्नान कराएं। फिर दीपक जलाकर शिव चालीसा और प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें।
प्रदोष व्रत का समय
त्रयोदशी तिथि शुरू पांच अगस्त को शाम पांच बजकर नौ मिनट से
इसका समापन छह अगस्त को शाम छह बजकर 28 मिनट पर
अपनी राशियों के हिसाब से करें पूजा
अलीगढ़ के ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक, अगर प्रदोष काल की बेला में अपनी राशि के हिसाब से शिवलिंग पर वस्तु अर्पित करते हैं तो यह अत्यंत कल्याणकारी होगा।
ये करें अर्पण
मेष- शहद, गु़ड़, गन्ने का रस। लाल पुष्प चढ़ाएं।
वृष- कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प।
मिथुन- हरे फलों का रस, मूंग, बिल्वपत्र।
कर्क- कच्चा दूध, मक्खन, मूंग, बिल्वपत्र।
सिंह- शहद, गु़ड़, शुद्ध घी, लाल पुष्प।
कन्या- हरे फलों का रस, बिल्वपत्र, मूंग, हरे व नीले पुष्प।
तुला- दूध, दही, घी, मक्खन, मिश्री।
वृश्चिक- शहद, शुद्ध घी, गु़ड़, बिल्वपत्र, लाल पुष्प।
धनु- शुद्ध घी, शहद, मिश्री, बादाम, पीले पुष्प, पीले फल।
मकर- सरसों का तेल, तिल का तेल, कच्चा दूध, जामुन, नीले पुष्प।
कुंभ- कच्चा दूध, सरसों का तेल, तिल का तेल, नीले पुष्प।
मीन- गन्ने का रस, शहद, बादाम, बिल्वपत्र, पीले पुष्प, पीले फल।