Israel attacked many cities of Iran with missiles, targeted cities
Shri Batuk Bhairav Jayanti on May 30, know birth story and worship…#agranews
आगरालीक्स…श्री बटुक भैरव जयंती कल मंगलवार को है. भोलेनाथ ने अपनी शक्ति से पांच वर्ष के बच्चे बटुक की स्थापना की…जानें बटुक भैरव के बारे में जो अकाल मौत से बचाते हैं…
श्री बटुक भैरव जयन्ती 30 मई 2023,मंगलवार ,ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी के दिन प्रभू भोलेनाथ ने आपनी शक्ति से बटुक पाँच वर्ष के बच्चे की स्थापना की जो अपने भक्तों की हर समस्या का निवारण करने में सक्षम है। बटुक भैरव प्रसन्न होकर सदा साधक के साथ रहते हैं और उसे सुरक्षा प्रदान करते हैं अकाल मौत से बचाते हैं। ऐसे साधक को कभी धन की कमी नहीं रहती और वह सुखपूर्वक वैभवयुक्त जीवन- यापन करता है।जो साधक बटुक भैरव की निरंतर साधना करता है, बटुक भैरव दर्शन देकर उसे कुछ सिद्धियां प्रदान करते हैं जिसके माध्यम से साधक लोगों का भला करता है।
श्री बटुक भैरव जयंती 30 मई 2023 मंगलवार के दिन है। भगवान भैरव अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर बल, बुद्धि, तेज, यश, धन तथा मुक्ति प्रदान करते हैं। जो व्यक्ति भैरव जयंती को भैरव का व्रत रखता है, पूजन या उनकी उपासना करता है वह समस्त कष्टों से मुक्त हो जाता हैश्री बटुक भैरव अपने उपासक की दसों दिशाओं से रक्षा करते हैं। स्कंद पुराण के अवंति खंड के अंतर्गत उज्जैन में अष्ट महाभैरव का उल्लेख मिलता है।इसीलिये भय के देवता महाभैरव को यज्ञ में कोई भाग नहीं दिया जाता। कुत्ता उनका वाहन है। क्षेत्रपाल के रूप में उन्हें जब उनका भाग देना होता है तो यज्ञीय स्थान से दूर जाकर वह भाग उनको अर्पित किया जाता है, और उस भाग को देने के बाद यजमान स्नान करने के उपरांत ही पुन: यज्ञस्थल में प्रवेश कर सकता है।
बटुक भैरव जन्म की संक्षिप्त कथा
आपद नाम का एक राक्षस था वैसे अभी भी आपद तो अभी भी परोक्ष रूप से ज़िंदा है। जो बिन बुलाये इन दिनों कभी भी आ जाती है।उस जमाने में आपद का अत्याचार बहुत बढ़ गया था तीनो लोकों के देवता देवी और मनुष्य अत्याचार से परेशान थेआपद को वरदान था कि उसे कोई देवी देवता नहीं मार सकता कोई वध नही कर सकता है।सिर्फ कोई पांच साल का बच्चा ही मार सकता है तब – देवीदेवताओं की प्रार्थना शिव जी ने सुनी देवी देवताओं की शक्ती से पांच साल के बालक की उत्त्पत्ति हुई जिसका नाम बटुक भैरव रखा गया उसने ही आपद नाक राक्षस का वध कियाइसलिए आपके उपर कोई आफत आये तो कलियुग में बटुक भैरव की पूजाकरनी चाहिए। भगवान् श्री बटुक-भैरव बालक रुपी हैं।उनकी देह-कान्ति स्फटिक की तरह है। घुँघराले केशों से उनका चेहरा प्रदीप्त है। उनकी कमर और चरणों में नव मणियों के अलंकार जैसे किंकिणी, नूपुर आदि विभूषित हैं। वे उज्जवल रुपवाले, भव्य मुखवाले,प्रसन्न-चित्त और त्रिनेत्र-युक्त हैं। कमल के समान सुन्दर दोनों हाथों में वे शूल और दण्ड धारण किए हुए हैं। भगवान श्री बटुक-भैरव के इस सात्विक ध्यान से सभी प्रकार कीअप-मृत्यु का नाश होता है, आपदाओं का निवारण होता है, आयु की वृद्धि होती है, आरोग्य और मुक्ति-पद लाभ होता है
जप मंत्र
ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा
ऊँ श्री बम बम बटुक भैरवाय नमः
उक्त मंत्र की आज रात्रि कम से कम 21 माला करे इसके बाद प्रतिदिन 11 माला जब तक सवालाख जप पूर्ण ना हो जाये करें। अपनी सामर्थ्य अनुसार अधिक जप भी कर सकते है। सवालाख जप पूर्ण होने के बाद इसका दशांश यानी 12500 मंत्रो से हवन में आहुति देना चाहिए।भैरव की पूजा में जप के आरम्भ व अंत मे श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शत-नामावली का पाठ भी करना चाहिए
साधना का समय- शाम 7 से 11 बजे के बीच
साधना की चेतावनी- इस साधना को बिना गुरु की आज्ञा के ना करें। साधना के दौरान खान-पान शुद्ध रखें। सहवास से दूर रहें। वाणी की शुद्धता रखें और किसी भी कीमत पर क्रोध न करें
साधना नियम व सावधानी
भैरव साधना किसी मनोकामना पूर्ति के लिए की जाती है इसलिए अपनी मनोकामना अनुसार संकल्प बोलें और फिर साधना शुरू करें
यह साधना दक्षिण दिशा में मुख करके की जाती है
रुद्राक्ष या हकीक की माला से मंत्र जप किया जाता है
भैरव की साधना रात्रिकाल में ही करें
भैरव पूजा में केवल सरसो के तेल के दीपक का ही उपयोग करना चाहिए
साधक लाल या काले वस्त्र धारण करें
लड्डू के भोग का प्रशाद चढ़ाए तथा साधना के बाद में थोड़ा प्रशाद स्वरूप ग्रहण करें शेष लड्डुओं को कुत्तों को खिला दें
भैरव को अर्पित नैवेद्य को पूजा के बाद उसी स्थान पर ग्रहण करना चाहिए
भैरव की पूजा में दैनिक नैवेद्य दिनों के अनुसार किया जाता है, जैसे रविवार को चावल-दूध की खीर, सोमवार को मोतीचूर के लड्डू, मंगलवार को घी-गुड़ अथवा गुड़ से बनी लापसी या लड्डू, बुधवार को दही-बूरा, गुरुवार को बेसन के लड्डू, शुक्रवार को भुने हुए चने, शनिवार को तले हुए पापड़, उड़द के पकौड़े या जलेबी का भोग लगाया जाता है।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरू रत्न भण्डार पुरानी कोतवाली सर्राफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250