आगरालीक्स…(8 June 2021 Agra) आगरा में पारस हॉस्पिटल पर हुई कार्रवाई तो बाहर आया लोगों का पुराना दर्द. बोले—अस्पतालों की लापरवाही से हमने भी खोए अपने…उन पर भी हो कार्रवाई
लोग बोले—आखिरकार सच सामने आया
आगरा में प्रशासन द्वारा आज भगवान टाकीज चौराहा स्थित श्री पारस हॉस्पिटल पर की गई कार्रवाई के बाद लोगों का पुराना दर्द फिर से बाहर आने लगा है. ये वो लोग हैं जिन्होंने कोरोना काल में आक्सीजन की कमी के कारण अपनों को खो दिया. इन लोगों का कहना है कि आखिरकार ये सच आज सामने आ ही गया कि कोरोना काल में अस्पतालों ने किस तरह से लोगों की मौत के साथ खिलवाड़ किया है. लोगों ने अपने पुराने वीडियोज और मैसेजेस एक बार फिर से सोशल मीडिया पर अपलोड करना शुरू कर दिया है. इन लोगों का कहना है कि हमने भी अपनों को खोया है. अस्पतालों ने जो लापरवाही बरती है उन पर कार्रवाई की जाए.
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26 अप्रैल को आक्सीजन के लिए मांगी थी मदद
आगरा के रहने वाले अमित चावला ने अपने पुराने ट्वीट एक बार फिर से सोशल मीडिया पर डाले हैं. इनमें उन्होंने 26 अप्रैल को ही श्री पारस हॉस्पिटल में अपने पिता और पत्नी के भर्ती होने का जिक्र किया था और उन्होंने शाम 5 बजकर 5 मिनट पर ज़िलाधिकारी, cm आफिस, up सरकार, डॉ हर्षवर्धन , pmo india को ट्वीट कर मदद मांगी थी और आक्सीजन की अनुपलब्धता का जिक्र किया था. अमित चावला का तीन घंटे बाद दोबारा ट्वीट किया जिसमें उनहोंने ऑक्सीजन के ना पहुंचने और पिता की मौत की कही थी बात. उन्होंने ज़िलाधिकारी आगरा के हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सप्लाई की उपलब्धता भरपूर होने की बात पर सवाल खड़े किए थे. आगरा के रहने वाले पुष्पेंद्र कुमार ने भी पारस हॉस्पिटल के बारे में कहा है कि 26 अप्रैल को ही टूंडला की रहने वाली मीरा देवी की भी मौत हुई है.
अस्पताल में आक्सीजन को लेकर हुआ था हंगामा
इसके अलावा बोदला स्थित जीवन ज्योति हॉस्पिटल पर भी आक्सीजन बंद करने के कारण मौत का आरोप लगाया गया है. आगरा के रहने वाली युविका सक्सेना ने आरोप लगाया कि अस्पताल में आक्सीजन बंद करने के कारण उनके पिताजी की मौत हो गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां आक्सीजन सिलेंडर होने के बाद भी मरीजों को आक्सीजन नहीं दी जा रही थी. 26 अप्रैल को अस्पताल का एक वीडियो उन्होंने अपनी फेसबुक आईडी पर शेयर किया है. उनका कहना है कि इस अस्पताल पर भी प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए.
आक्सीजन के लिए लोग हुए थे परेशान
बता दें कि अप्रैल माह में कोरोना की दूसरी लहर के कारण काफी संख्या में लोग संक्रमित हुए थे. आगरा के कई निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल बनाया गया था लेकिन अस्पालों में आक्सीजन की कमी और व्यवस्थाओं में बरती गई लापरवाही की बातें खूब सामने आई थीं. तीमारदारों को अपने मरीजों की जान बचाने के लिए खुद ही आक्सीजन सिलेंडर लेकर प्लांट तक जाना पड़ रहा था. लोगों ने ये भी आरोप लगाए थे कि खाली सिलेंडर के लिए करीब 15 हजार रुपये तक एडवांस लिए गए थे जो कि बाद में वापस भी नहीं किए गए. इसके अलावा आगरा के रवि हॉस्प्टिल में मरीज के तीमारदार से लाखों का बिल वसूलने का आरोप लग ही चुका है, जिसमें प्रशासन ने कार्रवाई भी की थी.