Rashifal 6 July 2024: Shanidev will bless these zodiac signs…#aajkarashifal
Tanu Weds Manu Returns impresses
मूवी रिव्यू
‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स ’ फिल्म को देखते हुए उत्तर भारत के दर्शक थोड़ा सा हंसेंगे, क्योंकि शब्दक,संवाद और मुहावरे उनकी रोजमर्रा जिंदगी के हैं। शहरी दर्शकों का आनंद अलग होगा। उन्हें हिंदी समाज का देसीपन हंसाएगा। ‘तवेमरि’ सीक्वल है। पहली फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’ की कहानी आगे बढ़ती है। मनु में रितिक रोशन को खोज रही तनु अब उसे फूटी कौड़ी के लायक भी नहीं समझती। बात तलाक तक आ जाती है। काउंसलर के सामने दोनों झगड़ते हैं तो कभी तनु की मांग तो कभी मनु की मजबूरी सही लगती है। स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि दोनों आगे-पीछे भारत लौटते हैं, लेकिन अपने-अपने घरों को। तनु कानपुर में पुराने यारों को खोजती है, जिसमें उसका नया आशिक चिंटू भी शामिल हो जाता है। उधर मनु की मुलाकात दत्तो से होती है। वह दत्तोन का दीवाना हो जाता है। तनु से मिले तलाकनामा और दत्तो की दीवानगी में हमें मनु के नए आयाम दिखते हैं। खूब जबरदस्त ड्रामा होता है। थोड़ी देर के लिए लगता है कि लेखक हिमांशु शर्मा दूर की कौड़ी ले तो आए हैं,लेकिन निशाना कैसे साधेंगे? मजेदार है कि फिल्मे खत्म होने तक सभी अविश्वसनीय प्रसंग उचित और तार्किक लगने लगते हैं। आप दत्तो और दत्तोे के साथ मनु और राजा अवस्थीन के संयोगों पर यकीन करने लगते हैं। बधाई हिमांशु।
पहले सहयोगी कलाकारों की बातें कर लें। राजेन्द्र गुप्ता, केके रैना, दीप्ति मिश्रा, नवनी परिहार समेत छोटे बच्चों ने अपने किरदारों से कहानी में रंग भरे हैं। किसी एक की कमी से कुछ खाली रह जाता। फिर दीपक डोबरियाल, मो. जीशान अय्यूब, जिमी शेरगिल, एजाज खान, स्व्रा भास्कर सभी ने अपने एटीट्यूड से कहानी का ऐसा ताना-बाना कसा है कि फिल्म की बुनाई मजबूत और रंगीन हो गई है। दीपक डोबरियाल एक-दो दृश्यों कुछ ओवर एक्टिंग करते नजर आते हैं। बहकने का खतरा ज्यादा था, जिसे उन्होंने और निर्देशक ने संभाला है। आर माधवन ने मनु के स्वभाव और स्वर को सही पकड़ा है। मुश्किल और जटिल दृश्यों में भी वे अपने किरदार को एक्सरप्रेशन की आजादी नहीं देते। सब कुछ ऐसा नपा-तुला और संयमित है कि मनोज शर्मा वास्तविक से लगने लगते हैं।उनके वनलाइनर तो मजेदार हैं।
इस फिल्म का एक नाम ‘तनू मीट्स दत्तोै’ भी हो सकता था। पुरानी कहानी के विस्तार में दत्तो के आगमन से नाटकीय मोड़ आता है। दत्तो् दिखने में तनु जैसी है,लेकिन अपने व्यवहार और बात में दोटूक और साफ है। वह तनु की तरह आत्म केंद्रित नहीं है। इसी वजह से वह निर्भीक है। उसे फैसले लेने में देर नहीं लगती। ऊपर से कठोर और अंदर से मुलायम दत्तोे बदनाम हरियाणा की नई उम्मीद है। नई लड़की है। लेखक-निर्देशक ने ‘तवेमरि’ की नाटकीय प्रेमकहानी में कुछ जरूरी सवालों को भी टच किया है। पटकथा का हिस्सा बना दिया है। दत्तो के किरदार में कंगना रनोट का आत्मसविश्वाास देखते ही बनता है। कुछ किरदार ऐसे होते हैं कि उन्हें योग्य कलाकारों का समर्थन मिल जाए तो वे यादगार बन जाते हैं। दत्तों ऐसा ही किरदार है। उसे उतनी ही शिद्दत और जान से कंगना रनोट ने पर्दे पर चरितार्थ किया है। कंगना का ‘स्वैनगर’(इठलाना) अंदाज भाता है। ‘बन्नो तेरा स्वैकगर…’ गाने को ध्यान से सुनें तो दत्तोन का चरित्र स्पतष्ट‘ हो जाएगा।
फिल्म। में गीत-संगीत भावानुकूल हैं। राज शेखर और कृष्णों की जोड़ी एक बार फिर निराले अंदाज में फिल्म की जरूरतें पूरी करती है। ‘मूव ऑन’,’ मत जा’ में किरदारों की मनोदशा व्यरक्त होती है। ‘घणी बावरी’ और तनु के नृत्य का मेल अनुचित लगता है।
प्रमुख कलाकार : कंगना रानौत, आर माधवन
फिल्म निर्देशक : आनंद एल राय
संगीत निर्देशक : कृष्णा सोलो, तनिष्क-वायु
स्टार : 4
अवधि-130 मिनट