The touching story of a Mohalla in Kamla Nagar, Agra…read here
आगरालीक्स (शरद माहेश्वरी)…आगरा में कमला नगर के एक मोहल्ले की मार्मिक दास्तान. कैसे एक साल में वीरान होने लगा मोहल्ला…छूटते गए साथ….
वीरान “बालाजी नगर”
यह किसी फ़िल्म की पटकथा नहीं बल्कि जहाँ हम रहते हैं वहाँ की दास्तान है। कमला नगर का एक छोटा सा मोहल्ला बालाजी नगर। यहाँ कितनी ख़ुशी थी। हर त्योहार सभी लोग साथ में मनाते थे। गिराराज महाराज का प्रसाद भी एक साथ खाते थे। भंडारे पर जो हँसी दिल्लगी होती थी, वो यादें यादों में ही ज़िंदा रहेंगी। कोविड ने एक साल में बालाजी नगर को वीरान बना दिया। एक साल पहले सुनील अंकल का हमें छोड़कर जाना फिर माहेश्वरी आंटी का न होना बहुत खलता है। मित्तल साहब का हमारे बीच न होना सच में याद दिलाता है। वो उनका activa रोककर हाल-चाल पूछने का अन्दाज़ बहुत याद आता है। 10 नम्बर वाले चचे का हाथ हमारे ऊपर से हटना बहुत रुलाता है। चचे शान-ए-बालाजी नगर थे। जब से यहाँ आए चचे का सानिध्य मिला। सुरेंद्र uncle ( चचे ) तुम बहुत याद आओगे। अपनो को छोड़कर और भी चले गए। कोविड यही शांत नहीं हुआ आज मारवाड़ी अंकल का असमय जाना, दिल को धक्का लगने जैसा है। आज कुछ अच्छा नहीं लगा। मारवाड़ी अंकल हमारे पड़ोसी भी थे। 20 सालों में आज तक उन्हें किसी पर भी नाराज़ होते नहीं देखा। भगवान क्या ख़ता हुई हमसे जो तू इस कदर नाराज़ है। अपने बच्चों से क्या कोई ऐसे नाराज़ होता है।… हे गिर्राज अब बस भी कर….
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