आगरालीक्स…. आगरा के उजाला सिग्नस रेनबो कार्डियक केयर में अब उन मरीजों की एंजियोप्लास्टी भी संभव है जो क्रोनिक किडनी रोग से जूझ रहे हैं। एचडी आईवस (इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड ) तकनीक की मदद से किडनी फेलियर या डायलिसिस करा रहे मरीजों की एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक की जा रही है। यह जानकारी कार्डियक केयर के निदेशक एवं वरिष्ठ ह्दय रोग विशेषज्ञ डाॅ. विनीश जैन ने दी। बताया कि इस तकनीक से एंजियोप्लास्टी कराने वाले देश भर में कुछेक ही सेंटर हैं, उजाला सिग्नस रेनबो कार्डियक केयर उनमें से एक है। डॉ जैन ने हाल ही में चेन्नई में आयोजित ह्रदय रोग विशेषज्ञों के देशव्यापी सम्मेलन में देश-विदेश से आए चिकित्सकों के समक्ष इस तकनीक द्वारा किए गए अपने कुछ केस प्रस्तुत किए।
गौरतलब है कि डॉ. विनीश जैन इस नवाचार के साथ एंजियोप्लास्टी करने वाले देश के चुनिंदा डॉक्टरों में से एक हैं, जिसे जीरो कॉन्ट्रास्ट एंजियोप्लास्टी का नाम दिया गया है। डाॅ. जैन ने बताया कि ह्दय रोगियों में एंजियोप्लास्टी के मामले 100 फीसद तक काॅन्ट्रास्ट यानि एक विशेष डाई की मदद से किए जाते हैं। क्योंकि यही डाई किडनी के रास्ते होकर बाहर निकलती है और अगर मरीज का क्रेटिनन लेवल बढ़ा हुआ है या वह पहले से डायलिसिस करा रहा है या यूरिन वाॅल्यूम कम आ रहा है तो मरीज के गुर्दे को नुकसान पहुंच सकता है और कुछ दिन में डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है। यही वजह है कि क्राॅनिक किडनी रोगियों में एंजियोप्लास्टी नहीं की जाती है। अगर कोई किडनी की गंभीर समस्या से पीड़ित है और साथ में ह्दय रोग भी लग जाए तो धीरे-धीरे उसकी हालत बिगड़ती रहती है।
ऐसे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है कि उजाला सिग्नस रेनबो कार्डियक केयर में डाॅ. विनीश जैन द्वारा एक अत्याधुनिक तकनीक एचडी आईवीस की मदद से किडनी के साथ ह्दय रोग रखने वाले मरीजों को उपचार मिल पा रहा है। पिछले कुछ समय से यहां एचडी आईवस की मदद से क्राॅनिक किडनी रोग वाले मरीजों की एंजियोप्लास्टी की जा रही है।
डाॅ. जैन ने बताया कि न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश में ऐसे गिने-चुने केंद्र हैं जहां किडनी फेलियर वाले या डायलिसिस पर चल रहे मरीजों की एंजियोप्लास्टी इस तकनीक की मदद से संभव हो पा रही है। यह क्रांतिकारी तकनीक निश्चित रूप से क्राॅनिक किडनी रोग वाले मरीजों में एक नई उम्मीद की तरह है। जीरो काॅन्ट्रास्ट एंजियोप्लास्टी विशेष रूप से खराब किडनी वाले मरीजों में आवश्यक है। इस तकनीक में धमनियों के माध्यम से डाई के स्थान पर हाई रिजाॅल्यूशन कैमरा डिवाइस से अंदर की स्वच्छ छवि देखी जाती है।