मानव एकता मिशन के संस्थापक आध्यात्मिक गुरु श्री एम ने अपने अनुयायियों के साथ यात्रा का शुभारंभ स्वामी विवेकानंद के जन्म शताब्दी वर्ष 12 जनवरी 2015 को कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल से किया था। वे 5,300 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद आगरा पहुंचे। उनका लक्ष्य 7500 किलोमीटर की यात्रा करके श्रीनगर में पहुंचना है। श्रीनगर में संदेश देना है कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक हम सब एक हैं। यात्रा देश के विभिन्न हिस्सों से होकर शुक्रवार को मंडी समिति के प्रांगण में पहुंची। स्वागत समारोह में मन: कामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी, दरगाह मरकज साबरी के सज्जादानशीं पीर अलहाज रमजान अली शाह, सेंट मेरीज चर्च के प्रधान पुरोहित फादर मून लाजरस, आगरा व्यापार मंडल के अध्यक्ष चरनजीत थापर, महामंत्री हरेश अग्रवाल, भाजपा नेता डा. मंजू बंसल ने आध्यात्मिक गुरु श्री एम का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया। वक्ताओं ने कहा कि अखंड भारत में सभी प्राणियों के बीच सद्भावना बनी रहे, इस उद्देश्य के साथ पैदल यात्रा पर निकले आध्यात्मिक गुरु श्री एम के आगमन से सुलहकुल की नगरी पवित्र हो गई। इस मौके पर श्री एम ने कहा कि जब हम अध्यात्म की ओर बढ़ते हैं तो उसमें कोई धर्म नहीं होता, कोई संप्रदाय नहीं होता, केवल सत्य होता है। उन्होंने बताया कि एम का मतलब मानव है। हम सभी मानव हैं और धर्म, जाति से पहले मानव धर्म सबसे बड़ा है।
उन्होंने वेद और उपनिषदों के उदाहरण देकर लोगों को शांति और प्रेम का महत्व बताया। इस मौके पर आगरा के इतिहास के बारे में लिखित पुस्तक और सीडी संकल्प संस्था की ओर से यात्रियों को वितरित की गई। संचालन संकल्प संस्था के अध्यक्ष ब्रजेश पंडित ने किया।
देश में कहीं भी असहिष्णुता नहीं
मानव एकता मिशन के आध्यात्मिक गुरु श्री एम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देश में कहीं असहिष्णुता नहीं है। कई बार हम लोग मानव एकता के संकल्प को भुला देते हैं। यात्रा का उद्देश्य आपसी सद्भाव, सबकी समानता, नारी सशक्तिकरण, सामुदायिक स्वास्थ्य और शिक्षा एवं युवा विकास है। उन्होंने कहा कि जब बचपन से ही सिखाया जाएगा कि सभी मानव एक हैं। धर्म और जाति से ऊपर मानव धर्म है तो आने वाली पीढ़ी में भी बदलाव आएगा। शनि शिगंणापुर मंदिर और हाजी अली दरगाह में महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने के सवाल पर उनका कहना था कि भारत में मातृ शक्ति की महत्ता से सब परिचित हैं। नारियों से कहीं भी भेदभाव नहीं करना चाहिए।
जत्थे में शामिल सभी समुदायों के लोग
आशा यात्रा में सभी समुदायों के एक सौ लोग शामिल हैं। इनमें से कुछ लोग समय-समय पर शामिल हो जाते हैं। सभी मानव एकता मिशन से जुड़े हैं। इनमें कर्नाटक के रिटायर्ड डीजीपी से लेकर यूरोपियन महिलाएं भी शामिल हैं। एक यात्री ने बताया कि वे प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर का सफर पैदल तय करते हैं।
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