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World Cancer Day Special: More than 100 cancer patients are increasing every year in Agra, Know what are its causes and prevention…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में हर साल 100 से अधिक कैंसर रोगी बढ़ रहे हैं. पुरुषों और महिलाओं में इस तरह के कैंसर सबसे अधिक. जानें क्या हैं इसके कारण और बचाव
तंबाकू को कहियें न और जिन्दगी को हां
विश्व कैंसर दिवस शनिवार को है। स्वास्थ्य विभाग ने इस वर्ष विश्व कैंसर दिवस की थीम क्लोज द कैंसर गैप पर रखी है। महिलाओं और पुरुषों में कैंसर की सबसे बड़ी वजह तंबाकू है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार, जनपद में 30 से 49 वर्ष की 0.3 प्रतिशत महिलाओं ने सर्वाइकल कैंसर की जांच, 0.3 प्रतिशत महिलाओं ने स्तन कैंसर की जांच और 0.4 प्रतिशत महिलाओं ने मुंह के कैंसर की जांच कराई है। सर्वे 5 के अनुसार,जिले में 15 वर्ष से अधिक उम्र की 8.9 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू उत्पादों का सेवन करती हैं। 46.1 प्रतिशत पुरुष तंबाकू उत्पादों का उपयोग करते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि विश्व कैंसर दिवस पर सुबह 10:30 बजे संत राम कृष्ण कन्या महाविद्यालय आगरा में गोष्ठी का आयोजन होगा। जिसमें कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने पर चर्चा की जाएगी। एसएन मेडिकल कॉलेज की कैंसर रोग विभाग से प्रोफेसर डॉ.सुरभि गुप्ता बताती हैं कि मौजूद केमिकल दिल की धडक़न व ब्लड प्रेशर बढ़ा देते हैं। आंकड़ों के अनुसार तंबाकू सेवन से विश्व में हर छह सेकें में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। फेफड़े, मुंह व गले का 90 फीसदी कैंसर तंबाकू उत्पादों के सेवन से होता है। तंबाकू सेवन से दिल की बीमारी, लकवा, डायबिटिज, गठिया, फेफड़ा रोग आदि का जोखिम बढ़ जाता है।
मुख्य तंबाकू (बीड़ी, सिगरेट, खैनी, गुटखा आदि) का लगातार सेवन लगभग शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाता है। साथ ही स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का जोखिम भी बढ़ाता है। इसमें मौजूद केमिकल दिल की धड़कन व ब्लड प्रेशर बढ़ा देते हैं। फेफड़े, मुंह व गले का 90 फीसदी कैंसर तंबाकू उत्पादों के सेवन से होता है। तंबाकू सेवन से दिल की बीमारी , लकवा, डायबीटिज, गठिया, फेफड़ा रोग आदि का जोखिम बढ़ जाता है। खास बात यह है कि यदि तंबाकू सेवन छोड़ने की ठान लें तो शरीर में इसके तुरंत लाभ दिखाई देने लगते है। छोड़ने के अगले 20 मिनट में ही हार्ट रेट और बीपी सामान्य होने लगता है और तीन महीने के अंदर ही फेफड़े मजबूत होने लगते हैं और शरीर में खून के संचार में सुधार आने लगता है।
धूम्रपान करना भी खतरनाक
गैर संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ. पियूष जैन ने बताया कि -धुंए के छल्लों से अपने बच्चों के भविष्य को न बांधें। धूम्रपान व तंबाकू सेवन से दिल की बीमारी होने की संभावना 2 से 4 गुणा बढ़ जाती है। ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी 2 से 4 गुणा बढ़ जाता है। वहीं फेफड़ों के कैंसर का खतरा 5 से 10 गुणा तक बढ़ जाता है। यह महिलाओं की प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करता है एवं गंभीर फेफड़ा रोग (सीओपीडी) का सबसे बड़ा जोखिम कारक है।
इन अंगों में हो रहा कैंसर का रोग
आगरा जनपद में हर साल 100 से अधिक कैंसर के रोगी बढ़ जाते हैं।
पुरुषों में गले, फेफड़े, बड़ी आंत का कैंसर अधिक होता है।
महिलाओं में स्तन, सर्वाइकल और गले का कैंसर होता है।
इसके अलावा खाने की नली, पित्त की थैली में भी कैंसर हो रहा है।
कैंसर से बचाव को यह बरतें सावधानी
खान-पान की आदत में सुधार करना बेहद जरूरी है।
तंबाकू, बीड़ी आदि का बिल्कुल भी उपयोग नहीं करें।
रिसाइकिल ऑयल सबसे ज्यादा घातक होता है।
चोकर वाले आटे का सेवन करें, इसमें अधिक फाइवर होता है।
खाने में मौसमी फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
सप्ताह में पांच दिन तक 30 मिनट तक व्यायाम अवश्य करें।
कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन भी लगवाई जा सकती है।
-डॉ.सुरभि गुप्ता, प्रोफेसर कैंसर रोग विभाग।
तंबाकू सेवन छोड़ने पर ऐसे होता असर :
पहले 3 माह में फेफड़े मजबूत व साफ होने लगते हैं। ब्लड फ्लो में भी सुधार होता है।
एक साल के अंदर दिल की बीमारी का जोखिम 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
5 साल में ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) व सर्वाईकल कैंसर होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती हैं। अब वह उतनी ही है जितना की धूम्रपान नहीं करने वालों की होती है।
तंबाकू छोड़ने के 10 साल बाद लंग कैंसर से होने वाली मौत का आंकड़ा आधा रह जाता है।
15 साल में हृदय रोग होने की संभावना अब उतनी ही है, जितना की धूम्रपान नहीं करने वालों की होती है।