2 detained for screening banned documentary in Agra released by police
दिल्ली दुष्कर्म मामले पर ब्रिटिश डायरेक्टर लेसली उडविन द्वारा बनाई डॉक्यूमेंट्री इंडियाज डॉटर पर देश में प्रदर्शन पर प्रतिबंध है। दिल्ली की एनजीओ छांव फाउंडेशन व शीरोज हैंग आउट के पीआर मैनेजर केतन दीक्षित और उनके साथी शाहगंज निवासी राहुल ने जिला मुख्यालय से तीस किमी दूर स्थित गांव रुपधनू में रविवार शाम फिल्म का प्रोजेक्टर से प्रदर्शन किया। अलीगढ़ में मास कम्युनिकेशन में स्नातक कर रहे गौरव परमार के घर हुए प्रदर्शन में करीब 70 लोगों ने डॉक्यूमेंट्री देखी, जिसमें महिला और बच्चे भी थे।
कल गांव में मेला लगा था। इसलिए कुछ संख्या और बढ़ गई। शाम सात बजे फिल्म शुरू हुई। इसके संवाद अंग्रेजी में थे, इसलिए लोगों की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। कुछ समझदार लोगों ने विरोध शुरू कर दिया तो 15-20 मिनट बाद फिल्म का प्रसारण बंद कर दिया।
रात आठ बजे सूचना पर आंवलखेड़ा चौकी प्रभारी होम सिंह गांव पहुंचे, तब तक युवक सामान समेटकर चले गए थे। मामला अधिकारियों तक पहुंचा तो होश उड़ गए। सीओ एत्मादपुर के नेतृत्व में तलाश में जुटी पुलिस ने सोमवार सुबह 11 बजे केतन दीक्षित और राहुल हिरासत में ले लिया। थाने ले जाकर चार घंटे पूछताछ की। इसके बाद पुलिस ने जीडी में तस्करा डालने के बाद दोपहर तीन बजे इन्हें ग्राम प्रधान चौकड़ा कौशलेंद्र चौहान की सुपुर्दगी में दे दिया। इनके लैपटॉप, प्रोजेक्टर समेत अन्य कागजात जब्त कर लिए हैं। पुलिस की यह कार्रवाई सवालों के घेरे में है। केतन दीक्षित ने कहा कि उसने फिल्म यू ट्यूब से डाउनलोड की। सरकार द्वारा लगाए प्रतिबंध के विरोध स्वरूप डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया। यह विरोध जारी रहेगा। जरूरत पड़ी तो न्यायालय भी जाएंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता अचल शर्मा का कहना है कि लोक सेवक की अनुज्ञा का उल्लंघन करने की धारा 188 (तीन साल तक की सजा का प्रावधान) के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए थी। यू ट््यूब से प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री डाउनलोड करने पर आइटी एक्ट की धारा भी लग सकती थीं। इसके बाद पुलिस निषेधाज्ञा जारी करने वाले अधिकारी से सलाह लेकर धाराएं बढ़ा सकती थी। पूछताछ के बाद आरोपियों को छोडऩा कानूनन गलत है।
प्रभारी एसएसपी अशोक त्रिपाठी का कहना है कि डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शन मामले में युवकों से पूछताछ की गई है। फोरेंसिक जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।