Agra News: Free cataract operations for 59 patients in Agra.
39 year old Rosie reaches Elephant Hospital
आगरालीक्स …..बेजुबान 39 साल की रोजी से भीख मंगवाई जाती थी, पैरों में घाव थे, जंजीरों से बंधी रहने वाली रोजी अब मुक्त हो गई है, जानें रोजी की जिंदगी के बारे में।
उत्तर प्रदेश वन विभाग ने इस महीने की शुरुआत में वन्यजीव संरक्षण संस्था वाइल्डलाइफ एसओएस से मिली खुफिया जानकारी के बाद भदोही में रोज़ी हथनी को मुक्त कराया था। था। रोज़ी के मालिक बारातों और भीख मांगने के लिए अवैध रूप से उसका इस्तमाल करते थे, जिसके कारण उसने अपना अधिकांश जीवन कष्टदायी दर्द में बिताया, उसके आगे और पीछे के पैरों के चारों ओर दर्दनाक नुकीली जंजीरें भी बंधी हुई थी।
रोज़ी को वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल में लाने से रोकने के लिए उसके मालिकों ने तमाम बाधाएं उत्पन करने की कोशिश करी जिसके कारण काफी विलंब भी हुआ।
पिछले हफ्ते, अदालत से रोजी के पुनर्वास की अनुमति मिलते ही, वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सकों और हाथी देखभाल कर्मचारियों की एक टीम विशेष हाथी एम्बुलेंस के साथ भदोही, उत्तर प्रदेश पहुची और उत्तर प्रदेश वन विभाग की सहायता से हथनी को सकुशल मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल ले आई।
संस्था के पशु चिकित्सकों द्वारा किये गए गहन चिकित्सा जांच से पता चला कि हथनी लगभग 39 साल की है और पक्की सड़कों एवं अन्य अनुपयुक्त सतहों पर चलने के परिणामस्वरूप उसके पैरों के तलवे और नाखून कटी -फटी हालत में है। इसके अतिरिक्त, उसके शरीर पर कई दर्दनाक फोड़े और चोटें भी हैं। यात्रा के दौरान रोज़ी को दर्द से तत्काल राहत प्रदान करने के लिए पशु चिकित्सकों की टीम अपने साथ चिकित्सा उपकरण भी लेकर गई थी।
तमाम चुनोतियों के बावजूद, रोज़ी को आखिरकार अपने कष्ट भरे जीवन से आज़ादी मिली और उसे वाइल्डलाइफ़ एसओएस की एक्सपर्ट देखरेख में लाया गया। रोज़ी को उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा स्थापित भारत के पहले और एकमात्र हाथी अस्पताल परिसर में विशेषज्ञों के हाथों लेजर थेरेपी, डिजिटल वायरलेस रेडियोलॉजी और थर्मल इमेजिंग जैसी विशेष चिकित्सा सुविधायें मिलेंगी।
वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डॉ इलियाराजा, ने बताया की- “वर्षों की उपेक्षा और दुर्व्यवहार ने रोज़ी के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है। उसके पैर बहुत खराब स्थिति में हैं और उसके शरीर पर कई चोटों के निशान भी हैं। हम उसके स्वास्थ्य की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने और उसे आवश्यक देखभाल प्रदान करने के लिए विस्तृत चिकित्सा जांच कर रहे हैं।”
बैजूराज एम.वी, डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस ने कहा, “हम इस हथनी को संकट से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश वन विभाग के आभारी हैं। भीख मांगने वाले हाथी का जीवन दर्द से भरा होता है और वे गंभीर मानसिक तनाव से पीड़ित होते हैं जिसे ठीक होने में वर्षों लग जाते हैं। अब जब रोज़ी हाथी अस्पताल में सुरक्षित पहुंच गई है, तो हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उसे वह चिकित्सा उपचार और देखभाल मिले, जिसकी वह हकदार है।”