मौनी अमावस्या स्नान पर्व के लिए मेला प्रशासन ने एक दर्जन घाटों की व्यवस्था की थी। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के आगे यह व्यवस्था कम पड़ गई। बची-खुची कसर कटान ने पूरी कर दी। इसके चलते श्रद्धालुओं को स्नान के लिए मशक्कत करनी पड़ी।
मौनी अमावस्या पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ सोमवार शाम से तेजी से संगम पहुंचना शुरू हो गई थी। मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए बारह स्नान घाटों की व्यवस्था की थी। भीड़ को देखते हुए मेला प्रशासन ने सभी घाटों की लंबाई बढ़वा दी थी। सोमवार रात जब श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ तो रात को ही स्नान शुरु करा दिया। इसके बाद भी हालात नहीं बदले।
श्रद्धालुओं की भीड़ के आगे घाट कम पड़ गए। तकरीबन पच्चीस लाख श्रद्धालु सुबह छह बजे तक गंगा में डुबकी लगाकर वापस लौट चुके थे। झूंसी की ओर से आए श्रद्धालुओं को संगम और दारागंज की ओर से आए श्रद्धालुओं को झूंसी की ओर काफी समय तक नहीं जाने दिया गया। पुलिस ने आसपास के घाटों पर ही डुबकी लगवा दी। इसके चलते बहुत से श्रद्धालु संगम तक पहुंच नहीं पाए।
गंगा के तेज प्रवाह के चलते दंडी बाड़ा घाट समेत कई जगह कटान हो गया। सिंचाई विभाग क्रेट लगाकर कटान पर काबू करने का प्रयास करता रहा। कटान पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी नजर गड़ाए बैठे रहे। कटान के चलते पीपा पुलों के धंसने का भय सता रहा था, हालांकि स्नान निर्विघ्न पूरा हो गया।