आगरालीक्स… होलिका दहन सात मार्च को है। होलिका दहन की अग्नि से जानिये आने वाले साल में व्यापार, खेती-किसानी, राजा-प्रजा का कैसा रहेगा भविष्य।
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन
होलिका दहन की अग्नि से आने वाले साल के श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को होलका दहन किया जाता है क्योंकि इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष 14 दिन सोमवार दिनांक छह मार्च 2023 को चतुर्दशी तिथि सांयकाल 04:17 पर ही समाप्त हो जाएगी एवं पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी।
मंगलवार सुबह 5.15 बजे तक भद्रा का वास

इसी दिन होलिका का दहन किया जाना शुभ माना जाएगा भद्रा में होलिका दहन करना वर्जित माना गया है लेकिन इस बार भद्रा फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में ही लग रही है लेकिन होलिका दहन के सुबह ही यह भद्रा खत्म हो जाएगी 06 मार्च सोमवार को भद्रा सांय 04:17 से 07 मार्च मंगलवार को प्रातः 05:15 तक रहेगी। इस बार भद्रा का बास धरती पर रहेगा
होलिका दहन इस प्रकार रहेगा
🌟 होली का पर्व ( होलिका दहन ) रंगवाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है मान्यता है कि इस दौरान भविष्य का अंदाजा लग जाता है होली को 2 दिन का त्योहार माना जाता है। रंग खेलने से एक शाम पहले होलिका दहन करने की परंपरा है, इसकी कथा भक्त प्रहलाद से जुड़ी है।
घरों की होली का समय

इस साल 2023 में होलिका दहन मंगलवार 07 मार्च 2023 की शाम को और घरों वाली होलिका दहन सायं 06:24 से 08:51 तक इसके बाद, रात्रि/प्रातः 04:35 से प्रातः 06:35 तक होगा।
होलिका दहन के समय सभी लोग एक जगह आकर आग में आहुति देते हैं होली का में कच्चे आम, नारियल, सप्तधान्य ,चीनी के बने खिलौने ,नई फसल का कुछ भाग गेहूं ,चना और मसूर आदि की आहुति दी जाती है।
साथ ही रोग दोषो से निवृत्ति, सभी प्रकार से सुख- समृद्धि बनी रहे और लाभ उन्नति की कामना भी की जाती है।
साल का अंतिम त्योहार होता है
हिंदू पंचांग के अनुसार यह वर्ष का अंतिम प्रमुख त्योहार है जो आने वाले साल की सूचना भी देता है इसलिए ज्योतिष शास्त्र में भी होलिका दहन का बड़ा महत्व है यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आता है मान्यता है किहोलिका की अग्नि से आने वाले साल का भविष्य भी जाना जाता है इसका अंदाजा आसानी से होलिका दहन की अग्नि से लगाया जा सकता है।
हवा पूर्व की ओर चले तो पूरे साल खुशहाली
🏵 शास्त्रों में कहा गया है कि होलिका दहन के समय हवा पूर्व दिशा से चले यानी पुरवइया चले तो यह बहुत ही अच्छा शुभ शगुन होता है पूर्व की दशा को देवी देवताओं की दशा कहा गया है माना जाता है इस साल भर खुशहाली भरा माहौल रहता है राजा प्रजा सभी को पूरे साल खुशहाली उन्नति रहती है।
दक्षिण की ओर हवा चले तो गर्मी और महंगाई
🏵 अगर होलिका के समय दक्षिण दिशा की तरफ हवा चले तो अपशगुन नेस्ट सूचक मानी जाती है ऐसी मान्यता है कि इससेफसलों को नुकसान होता है गर्मीतेज पड़ती है वर्षा कम होती है महंगाई की मार पड़ी रहती है और राज्यकी सत्ता भंग होने के चांस बन जाते हैं जनता में असंतोष बढ़ जाता है।
उत्तर की ओर की हवा से सुख-समृद्धि
🏵️ यह बहुत ही शुभ माना जाता है उत्तर दिशा धन के स्वामी कुबेर की दिशा है इस दिशा को धन की दिशा भी कहते हैं माना जाता है कि इससे पूरे साल आर्थिक क्षेत्र में उन्नति बढ़ेगी धन वैभव सुख समृद्धि रहेगी
धुआं आकाश की ओर जाए तो सत्ता परिवर्तन
🏵 होलिका दहन के समय अग्नि का धुआं सीधा आकाश की ओर जाने लगे तो यह बदलाव का सूचक है यह संकेत है कि जिस व्यक्ति और शासक का वर्चस्व समाज घर पर और राजनीति में है उसकी सत्ता जाने वाली है नई सत्ता और नई सरकार आने वाली है।
पश्चिम की ओर हवा अच्छा शगुन नहीं
🏵 पश्चिम दिशा से होलिका दहन के समय हवा चलने लगे तो यह भी अच्छा शगुन नहीं होता माना जाता है कि इसकी वजह से कृषि के क्षेत्र में खलिहान के क्षेत्र में बहुत हानि होती है उद्योग धंधे चौपट हो जाती हैं बाजारों में भुखमरी फैलने लगती है।