आगरालीक्स …आगरा में कोरोना से जंग लडने के लिए निजी अस्पताल तैयारी में जुटे हैं, जून जुलाई में कोरोना केस बढने के लिए आगाह किया जा रहा है, ऐसे में क्या चल रही तैयारी, एक हॉस्पिटल की रिपोर्ट।
इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। आगरा में भी इस वायरस की चपेट में आए लोगों की संख्या 864 के करीब पहुंच गई थी। ऐसे में रेनबो हाॅस्पिटल कुछ अलग कर रहा है। फैक्ट्स के साथ ऐसी चीजें डिस्कश की जा रही हैं, जो अस्पताल और यहां के स्टाॅफ की सुरक्षा के लिए तो हैं ही साथ ही इन पर अमल करने से लोग अपने घरों में भी सुरक्षित रह सकते हैं।
कोरोना कॅरियर कोई भी हो सकता है। यह कहीं से भी आ सकता है। दुश्मन अदृश्य है, इसका सामना कैसे करना है। मरीजों का इलाज करने के साथ खुद को कैसे बचाए रखना है। अस्पताल में संक्रमण को घुसने से कैसे रोकना है। इसे लेकर रेनबो हाॅस्पिटल शुरू से ही सतर्क रहा है। पहले दिन से ही अस्पताल ने सुरक्षा प्रोटोकाॅल को अपनाना शुरू कर दिया था। कोरोना से निपटने और खुद को बचाए रखने के लिए स्टाॅफ को प्रशिक्षित करने का काम भी बहुत पहले ही शुरू हो चुका था। अब सरकारी प्रोटोकाॅल और आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक काम हो रहा है। अस्पताल कीं प्रमुख डा. जयदीप मल्होत्रा, निदेशक डा. नरेंद्र मल्होत्रा, वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डा. आरसी मिश्रा, वरिष्ठ यूरोलाॅजिस्ट डा. मधुसूदन अग्रवाल, वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डा. अनूप खरे, मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डा. राजीव लोचन शर्मा, आईसीयू प्रभारी डॉ वंदना कालरा, वरिष्ठ नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रेमाशीष मजूमदार द्वारा पूरी निगरानी और प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा डा. निहारिका मल्होत्रा, डा. केशव मल्होत्रा, डा. शुभम सिंघल, डा. नीरजा सचदेवा, डा. मनप्रीत शर्मा, डा. शैली बंसल, डॉ हिमांशु यादव, डॉ निशा यादव, डॉ विनय तिवारी, डॉ रजत कपूर, डॉ विशाल गुप्ता, डॉ संजीव अग्रवाल, डॉ मानवेन्द्र चौहान, डॉ विनय मित्तल द्वारा प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया जाता है कि सुरक्षा की दृष्टि से क्या तरीके अपनाए जाने चाहिए। इसके अलावा अपने स्तर से हर रोज संशोधन हो रहे हैं। यही वजह है कि पिछले दिनों केंद्र से आई टीम ने भी सुरक्षा प्रोटोकाॅल के मामले में अस्पताल को आगरा में पहले पायदान पर रखा है।
चुनौती को लिया गंभीरता से
अस्पताल में मरीजों को ओपीडी परामर्श के लिए संबंधित डाॅक्टर की फोन पर अप्वाइंटमेंट ली जाती है। टेलीमेडिसिन का भी सहारा लिया जाता है। ओपीडी परामर्श के लिए मरीज को अकेले ही आने को कहा जाता है, अगर बहुत जरूरी है तभी वो अपने साथ किसी एक व्यक्ति को ला सकता है। आपातकालीन स्थिति में भी अलग प्रोटोकाॅल लागू होता है। मरीज और तीमारदार ही नहीं बल्कि यहां सीनियर डाॅक्टर्स से लेकर स्टाॅफ की मुख्य द्वार पर ही सेनेटाइजेशन और थर्मल स्क्रीनिंग कर ली जाती है। मरीज के लिए भी यही नियम है। आपातकालीन या भर्ती की स्थिति में मरीज के आने पर सबसे पहले उसे ट्रायज में लिया जाता है। मरीज को एक या दो डाॅक्टरों की टीम ही डील करती है। अस्पताल को ग्रीन, आॅरेंज और रेड जाॅन में बांटा गया है। अगर कोई मरीज कोरोना संदिग्ध लगता है तो उसे आॅरेंज जोन में भेजा जाता है। कोविड जांच कराई जाती है। रेड जाॅन को इसलिए रखा गया है ताकि यदि कोई मरीज जांच में पाॅजिटिव पाया जाता है तो उसे शिफ्ट किया जा सके। जनरल वाॅर्ड से लेकर सभी जोन में मरीजों के बैड्स को एक से दो मीटर की दूरी पर रखा गया है। महाप्रबंधक राकेश आहूजा और नर्सिंग सुपरिटेंडेंट ग्लाइडिन जॉर्ज सारे सुरक्षा नियमों को लागू कराने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
हर रोज चुनौती, हम हर रोज सीख रहे
सरकारी प्रोटोकाॅल है। आईसीएमआर की गाइडलाइन भी हर रोज बदल रही है, क्योंकि कोरोना अपना रंग रूप और इसके लक्षण भी बदल रहे हैं। ऐसे में रेनबो हाॅस्पिटल में डाॅक्टर और स्टाॅफ हर रोज सीख रहा है। अस्पताल कीं प्रमुख डा. जयदीप मल्होत्रा के निर्देशन में यहां हर रोज दो घंटे का प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया जाता है। इसमें बताया जाता है कि मरीजों का इलाज करने के साथ ही डाॅक्टरों और स्टाॅफ को खुद का बचाव कैसे करना है। प्रोटोकाॅल, गाइडलाइन, डिस्इन्फेक्शन, बायोमेडिकल वेस्ट, पीपीई किट, मास्क, हैंड सेनेटाइजर के इस्तेमाल, ग्लव्स जैसी चीजें हर रोज डिस्कश की जाती हैं। इसके लिए टेंड डाॅक्टर और स्टाॅफ हैं जो दूसरों को डेमो और प्रेक्टिकल के जरिए प्रशिक्षण देते हैं। जो स्टाॅफ अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं उनके लिए यह प्रशिक्षण अनिवार्य है। हर रोज उपस्थित होना होता है और प्रश्नोत्तरी के जरिए सभी की जिज्ञासाएं शांत की जाती हैं। अस्पताल कर्मियों के लिए अस्पताल से घर जाते वक्त भी खुद को खुद के साथ लाई गई सभी वस्तुओं का सेनेटाइजेशन व अन्य जरूरी सुरक्षा नियम फाॅलो करने के निर्देश हैं। घर पर बरती जाने वाली सावधानियों के प्रति भी उन्हें सचेत किया जा रहा है।
आदत डालें
- घर से बाहर बिना मास्क के न जाएं, बिना मास्क और दूरी के किसी से बात करने से भी बचें।
- व्यक्तिगत स्वच्छता और शारीरिक दूरी बनाए रखें
- बार-बार हाथ धोने की आदत डालें। साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड रब का इस्तेमाल करें।
- छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिश्यु से ढकें।
- उपयोग किए गए टिश्यू, मास्क या ग्लव्स को बंद डिब्बे में ही फेंकें।
- बातचीत के दौरान लोगों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें, विशेष रूप से फ्लू जैसे लक्षण दिखने वाले व्यक्तियों के साथ।
- अपने तापमान और श्वसन लक्षणों की जांच नियमित रूप से करें।
- एक-दूसरे से हाथ न मिलाएं
- अपनी आंख, नाक और मुंह को स्पर्श न करें।
- सार्वजनिक स्थानों पर न थूकें।
- अनावश्यक यात्रा न करें।
- समूह में न बैठें, समारोहों में न जाएं।
- अफवाह या अपरिपक्व जानकारी न फैलाएं।
- फल, सब्जी या कोई और खान-पान सामग्री खरीदते वक्त सावधानी रखें। खरीदने के बाद धूप में या गर्म पानी में रखें। अगले 24 घंटे तक इनके इस्तेमाल से बचें।
- बाहर से कोई भी वस्तु आने पर भी उसे अगले 24 या 48 घंटे तक छूने से बचें। घर के किसी अलग हिस्से में रख दें।
- मेज, टेबल, कुर्सी, कंप्यूटर, लिफ्ट या बिजली के बटन, इलेक्ट्राॅनिक उपकरण, खिड़की, दरवाजों के हैंडल को छूने से बचें। अगर छूना पडे़ तो तुरंत हाथ धोएं या सैनेटाइज करें।