आगरालीक्स…समलैंगिक हूं, 150 से अधिक पुरुषों से बना चुका हूं संबंध, अब मैं दुखी हूं…मुझे क्या करना चाहिए…प्रेमानंद महाराज के पास पहुंचे युवक ने पूछा निजी सवाल….मिला ये जवाब
प्रेमानंद महाराज वृंदावन के एक प्रसिद्ध संत हैं. अपने पास आने वाले भक्तों के सवालां का जवाब अपनी गहरी आध्यात्मिक समझ और प्रेमपूर्ण अंदाज में देते हैं. लेकिन एक व्यक्ति ने प्रेमानंद महाराज से एक गहरा और निजी सवाल पूछा. युवक ने कहा कि मैं समलैंगिक हूं, अब तक 150 से अधिक पुरूषों से संबंध बना चुका हूं और अब मैं बहुत दुखी हूं. मुझे क्या करना चाहिए?इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि इसमें छुपाने या शर्माने जैसा कुछ नहीं है. जैसे हम डॉक्टर के सामने अपनी बात रखते हैं, वैसे ही संत—गुरुदेव के सामने भी अपनी बात रखनी चाहिए. हमें लगता है कि आपके ऊपर ईश्वर की विशेष कृपा है. अगर आप पुरुष से योग न करें और स्त्री से आपकी आसक्ति नहीं है तो आप भगत में प्राप्त महापुरुष बन सकते हैं. उन्होंने युवक से कहा कि थोड़ा बस विवेक से सोचिए कि अगर आपने ऐसा किया भी तो आपको क्या मिला. इसमें जवाब में बताया गया कि बस चिंता और भय.
इसके बाद प्रेमानंद महाराज ने कहा—कोई सुख नहीं मिला तो मुझे लगता है कि आप भगवान का नाम जपें और अपने ऊपर नियंत्रण करें. इससे आप उत्तम मनुष्य बनस कते हैं. व्यभिचार से ग्रसित व्यक्ति् न अपना भला कर सकता है आ न ही किसी और का भला कर सकता है. काम भोग सृष्टिक्रम को बढ़ाने के लिए रखा गया है. शास्त्रों के अनुसार पुरुष और स्त्री का योग सृष्टि को आगे बढ़ाने के लए न कि मनोरंजन के लिए. व्याभिचार प्रवत्ति बहुत निकृष्ट आदत है और सभी को नष्ट कर रही है. आप खुद सोचें कि क्या यह सही है, आप विचार करो. क्या सुख है यह…पूर्व संस्कार वश, यह आपके मनपसंद की बात नहीं है, कितना गंदा स्वरूप होगा जीवन का. इस तरह मल द्वार में खुद को आसक्त करके जीवन बर्बाद है. धर्म तो यहां दिखाई नहीं देता इंन्द्रियजन्य भोग की मनुष्य जीवन का उदृदेश्य नहीं है. संयम से रहो, गंदा आचरण नहीं करो. इससे अपने से घृणा आती है. इस धरती पर हर जीव काम से आसित है. जेल भरी हुई है. अगर आप देखोगे तो आधे से अधिक लोग व्यभिचार के कारण जेल में हैं. आध्यात्म ही इसका निवारण कर सकता है.