आगरालीक्स ….आगरा में हादसे में छह की मौत के बाद भी गुरु द्वारा गुरु के ताल तिराहे का आज का यह फोटो है। बच्चे सुबह स्कूल जाते हैं, पुलिस कर्मी भी नहीं रहते हैं। आगे निकलने की होड़ रहती है। ट्रक और ट्राला निकलते हैं, रात भर से जागे चालकों की एक झपकी भारी पड़ सकती है।
शनिवार को गुरु द्वारा गुरु के ताल पर ट्रॉला के बीच में आटो फंसने से सेंट एंड्रूज स्कूल की शिक्षिका, आवास विकास कॉलोनी निवासी दादी और उनका नाती सहित छह की मौत हो गई थी। इसके बाद आटो चालकों पर अभियान चला लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ है। गुरु द्वारा गुरु के ताल पर तो हालात और खराब हैं। यहां वाहनों के निकलने के लिए कोई व्यवस्था, ट्रैफिक सिग्नल नहीं हैं।
सोमवार सुबह आठ बजे के हालात
कोई नीति निर्धारण नही है, कोई सिस्टम भी नही है, चांस की बात है, जिसका मौका लगेगा वो पहले निकलेगा, यह स्थिति सुबह आठ बजे की है। यही सबसे रिस्की समय भी है। क्योंकि अभिभावक बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते हैं। दोपहिया वाहनों पर उनके साथ एक से दो बच्चे बैठे होते हैं। हाइवे को पार करते समय वे बीच चौराहे फंस जाते हैं और दोनों ओर से तेज रफ्तार वाहन निकलते रहते हैं। जल्दी निकलने के चक्कर में वे स्पीड तक कम नही करते।
पेरेंट्स की सांसें अटकी रहती हैं। खतरा इसलिए भी अधिक है क्योंकि रात भर के जागे ट्रक और ट्रोला चालक अनियंत्रित हो सकते हैं। इस समय चौराहों पर पुलिस कर्मी भी नही होते। और हाइवे पर कहीं भी ट्रैफिक सिग्नल तो पहले ही नही हैं।