आगरालीक्स…आगरा में जुटे 1200 तेल कारोबारियों की सरकार से 6 मांगें. सब्सिडी मिले, जीएसटी पर भेदभावपूर्ण नीति हो खत्म…एमएसपी भी हो तय
उप्र ऑयल मिलर्स एसोसिएशन ने मस्टर्ड ऑइल प्रोड्यूसर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया (मोपा) और दी सेन्ट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इण्डस्ट्री एवं ट्रेड (कुईट) के तत्वाधान में ताज होटल एंड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय रबी तेल तिलहन सेमिनार के 45 वें संस्करण का आयोजन किया गया.
राष्ट्रीय संयोजक दिनेश राठौड़ ने ये रखीं ये मांगें
सेमिनार में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के सामने राष्ट्रीय संयोजक दिनेश राठौर ने सरकार से 7 मांगें रखीं।
- जिस तरह से भारत सरकार व लगभग सभी राज्य सरकारें एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्लांट धारकों को सब्सिडी दे रही हैं। इससे एथेनॉल के उत्पादन में वृद्धि के कारण डीडीजीएस का उत्पादन 30 लाख से बढ़कर 50 लाख होने जा रहा है। जिस कारण सरसों खली की मांग कम हो गई है, इस वजह से इसका दाम तीन हजार से घट कर दो हजार रह गया है। अतः सभी तेल मिल धारकों की मांग है कि सरसों तेल के उत्पादन में लगे प्लांट धारकों को भी एथेनॉल के समान ही सब्सिडी दी जाए।
- मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे प्रदेशों में मंडी टैक्स, जीएसटी और कैपिटल सब्सिडी का लाभ तेल तिलहन उत्पादन यूनिट को दिया जाता है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह सुविधा नहीं है। हम आपके माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध करते हैं कि वे तेल तिलहन उत्पादन यूनिट को भी अन्य प्रदेशों के समान मंडी टैक्स, जीएसटी में छूट और कैपिटल सब्सिडी प्रदान करे, ताकि यहां के किसान और व्यापारी भी राहत पा सकें।
- जीएसटी के क्षेत्र में भी तेल तिलहन कारोबार में भेदभावपूर्ण नीति अपनाई गई है।
जहां सामान्य इनपुट क्रेडिट 5 प्रतिशत है, वहीं पैकेजिंग पर यह क्रेडिट 18 प्रतिशत हो जाता है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि जो इनपुट क्रेडिट लंबे समय से शेष हैं उनको निर्यात यूनिट की तरह से जमा राशि को मिल धारकों को वापिस किया जाए। - सरसों तेल का वितरण सब्सिडी के साथ पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत किया जाए तो सरसों तेल के भाव भी स्थिर रहेंगे और किसानों को सरसों का MSP से ऊपर रेट मिलेगा। पाम ऑयल और सोयाबीन ऑयल को केंद्र एवं राज्य सरकार को PDS में सम्मिलित नहीं करना चाहिए।
- जिस तरह से सरसों के सीड का MSP सरकार तय करती है, उसी तरह से सरसों के तेल एवं सरसों की खाली का भी MSP भी सरकार को तय करना चाहिए।
- सोयाबीन सीड का MSP से ऊपर उचित मूल्य किसान को नहीं मिलना चाहिए। इसके लिए सरकार सोयाबीन सीड की प्रोसेसिंग करने वाले प्लांटों को वर्ष के अंत में उनकी टोटल पिसाई के आधार पर एक उचित इंसेंटिव रखे।