आगरालीक्स…डीईआई का संस्थापक दिवस कल. डॉ. एमबी लाल साहब ने रखी थी इस विवि की नींव…जानें इसका इतिहास
प्रत्येक वर्ष की भांति 31 जनवरी को दयालबाग़ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में संस्थान के संस्थापक श्रद्धेय डॉ. एमबी लाल साहब की शुभ जन्मतिथि के अवसर पर संस्थापक दिवस मनाया जाएगा। यह उनकी दूरदर्शिता, मूल्यों और विरासत को श्रद्धांजलि है।दयालबाग के शांत वातावरण में स्थित दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीईआई) के लिए, हर साल 31 जनवरी को संस्थापक दिवस मनाना एक विशेष स्थान रखता है। 31 जनवरी एक महत्वपूर्ण दिन है, अपने संस्थापक के प्रति हमारी श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है, उत्सव एवं कृतज्ञता ज्ञापित करने का दिन है, क्योंकि यह दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (मानित विश्वविद्यालय) के संस्थापक निदेशक, परम गुरु हुज़ूर डॉ. एम.बी. लाल साहब की शुभ जन्मतिथि है।
डीईआई की शिक्षा नीति (1975) की कल्पना और क्रियान्वयन डीईआई (मानित विश्वविद्यालय) के सर्वोच्च वास्तुकार और संस्थापक निदेशक, श्रद्धेय डॉ. मकुंद बिहारी लाल साहब, रा-धा-स्व-आ-मी आस्था के सातवें आध्यात्मिक गुरु द्वारा ही किया गया है। डीईआई ने 1986 और 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अग्रदूत के रूप में कार्य किया है। इस दूरदर्शी दृष्टिकोण ने डीईआई को देश में एक अग्रणी शिक्षण संस्थान के रूप में स्थापित किया, जो राष्ट्रीय एजेंडे से कई वर्ष पहले शैक्षिक सुधारों की कल्पना करता रहा है। डीईआई का शैक्षिक ढांचा अपनी विशिष्टताओं से चिह्नित है, जो एक पूर्ण व्यक्तित्व या सुपरमैन के समग्र विकास पर जोर देता है। सुपरमैन इवोल्यूशनरी स्कीम के माध्यम से सुपरमैन बनाने की प्रक्रिया को नए सिरे से बल प्रदान किया गया है। दुनिया भर में फैले ये सुपरमैन शुरू से ही सत्संग संस्कृति को आत्मसात कर रहे हैं, मानवता को वास्तव में सतत विकास का सही रास्ता दिखाने के लिए दयालबाग जीवन शैली के राजदूत होंगे। अंतर-विषयक ऐच्छिक, कार्य-आधारित प्रशिक्षण और मुख्य पाठ्यक्रम यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्रों को न केवल अकादमिक उत्कृष्टता प्राप्त हो, बल्कि व्यावहारिक कौशल, सांस्कृतिक शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना भी प्राप्त हो।
मॉडर्न हेल्थकेयर हैबिटेट और सेल्फ डिफेंस का मॉडल बड़े पैमाने पर मानवता के लाभ के लिए और उसके बाद सभी जीवित प्राणियों के लाभ के लिए दुनिया के सभी हिस्सों को समाहित करने के लिए क्यूरेटेड और स्केल किए जाने के लिए तैयार है। सभी जीवित प्राणी ब्रह्मांड के सर्वोच्च शक्ति अथवा ईश्वर की रचना हैं। लिंग आधारित भेदभाव मुक्त मानव जाति के बीच “अंतिम, सबसे छोटे, सबसे निचले और खोए हुए” की सेवा करने का हमारा ऊंचा लक्ष्य अलैंगिक प्राणियों की ओर बढ़ रहा है और फिर बेहतर सांसारिकता के लिए सभी जीवित प्राणियों के बीच दयालबाग जीवन शैली को दर्शाता है। यह सर्वोत्कृष्टता के माध्यम से ab initio से ad infinitum तक पूरे स्पेक्ट्रम को समाहित करता है। यह कोई भव्य समापन नहीं है बल्कि एक प्रक्रिया है जो सभी जीवित प्राणियों की मुक्ति तक जारी रहेगी और निचले ध्रुव पर कोई भी नागरिक नहीं बचेगा।
दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में संस्थापक दिवस महज एक अनुष्ठान नहीं है; यह परम गुरु हुज़ूर डॉ. एमबी लाल साहब के दूरदर्शी नेतृत्व के लिए एक श्रद्धांजलि है और समग्र शिक्षा के लिए डीईआई की स्थायी प्रतिबद्धता की मान्यता है। इस दिन, छात्र-छात्राएँ अपनी परियोजनाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पाइप संगीत, उद्यमशीलता और अभिनव परिणामों को प्रदर्शित करने में अपनी प्रतिभा और रचनात्मकता का प्रदर्शन करके इसमें सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। यह उत्सव संस्थान की एकता, सहयोग और सफलता की भावना का प्रतीक है। चूंकि डीईआई मूल्य-आधारित शिक्षा, अनुसंधान और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से अपने छात्रों की क्षमता को उजागर करता है, इसलिए संस्थापक दिवस कृतज्ञता, प्रेरणा, प्रतिबद्धता और आने वाले समय के लिए ऊँची छलांग एवं सीमा के भीतर प्रगति की आनंदमय यात्रा का प्रतीक है।