आगरालीक्स…आगरा में डायलिसिस पीड़ित के कूल्हे बदल पैरों पर दौड़ा दी जिंदगी. उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के डाॅक्टर सिद्धार्थ दुबे ने किया सफल प्रत्यारोपण
अगर आप नियमित डायलिसिस पर हैं। आपके कूल्हे खराब हो गए हैं और उठने, बैठने, चलने फिरने में पूरी तरह से असमर्थ हैं, तब यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के डाॅक्टर सिद्धार्थ दुबे ने हाल ही में ऐसे ही एक मरीज के दोनों कूल्हे बदलकर नई जिंदगी दी। सफल प्रत्यारोपण के बाद मरीज अब अपने पैरों पर चलने में सक्षम है।
हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर सिद्धार्थ दुबे ने बताया कि कासगंज निवासी राहुल की किडनी खराब थी। वह नियमित डायलिसिस पर था। उसे जरा सी धमक लगी थी, उसका एक कूल्हा खराब हो गया। लंबे समय से वह बेड पर था। उसका चलना फिरना, उठना बैठना पूरी तरह से बंद था। पैर सीधे नहीं हो पाते थे। ऐसी स्थिति में हार्मोंस बढ़ जाते हैं और हड्डियों में जमा कैल्शियम घुलने लगता है।
उन्होंने बताया कि जब मरीज अस्पताल में आया तो उसका एक्सरे किया गया। पता चला कि दोनों कूल्हे की हड्डियों में जमा कैल्शियम घुल गया है। हड्डियां बेहद कमजोर हो गई हैं। ऐसी स्थिति में इम्लांट को बिठाने और पकड़ने में काफी दिक्कत आती है। चूंकि मांसपेशियां भी सिकुड़ जाती हैं। किडनी के संबंध में डॉक्टर तरुण मित्तल से बातचीत की। उन्होंने थोड़ा सा ट्रीटमेंट बताया। इसके बाद मरीज और उसके परिजनों को पूरी स्थिति से अवगत कराया। दरअसल इस स्थिति में कूल्हा प्रत्यारोपण काफी जटिल और बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। थोड़ा और समय गुजरता तो हड्डियां और भी कमजोर हो जाती। यह स्थिति तब आती है जब हड्डियों पर वजन पड़ना बंद हो जाता है।
डाॅक्टर दुबे के मुताबिक, मरीज का अत्याधुनिक तरीके से पहले एक कूल्हा प्रत्यारोपित किया। उसके कुछ समय बाद दूसरा कूल्हा बदला। अब मरीज अपने पैरों पर वजन डालकर चलने फिरने में सक्षम है। इसलिए लोगों के लिए शारीरिक एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है। गौरतलब है कि आगरा मंडल में सर्वाधिक जोड़ प्रत्यारोपण डाॅक्टर सिद्धार्थ दुबे ने किए हैं। यह अपने आप में रिकॉर्ड है।