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Agra news: Sakat Chauth on January 10: Sankat Haran Ganeshji is worshipped, daughter-in-law women keep waterless fast
आगरालीक्स… सकट चौथ 10 जनवरी को है। इस दिन संकटहरण गणेश जी की पूजा होती है। पुत्रवती महिला रखती हैं निर्जला व्रत। जानिये विस्तार से।
घरों में बनाया जाता है तिलकुटा

श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान, गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा बताते हैं कि माघ कृष्ण पक्ष दिन मंगलवार 10 जनवरी को ही सकट चौथ का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन गणेश जी की पूजा होती है। कच्चे तेल को गुड में कूटकर तिलकुट बनाते हैं। खाने में तेल में सिकने वाली चीज बनाते हैं, जैसे कचौड़ी, बरूला, चीले, गुड़ व बाजरे के आटे की टिकिया।
पूजा विधि
एक चकले पर चंदन या रोली से देवता को काडते हैं एक दीपक जलाते हैं। एक लोटे में पानी, तिलकुट 4 या 8 कचौड़ी रख लेते हैं। गणेश जी की पूजा के बाद सकट की कहानी सुनते हैं। पूजा करके खाना खाते हैं।
दिन और रात दोनों तरह से मनाया जाता है पर्व
सकट का त्योहार किसी के यहां दिन का होता है किसी के यहां रात का होता है। इस दिन पुत्रवती स्त्रियां निर्जल रहकर शाम को फलाहार करती हैं। इस दिन तिल को भूनकर गुड़ के साथ कूटा जाता है। इससे तिलकुट का पहाड़ बनाया जाता है, कहीं-कहीं तिलकुट का बकरा बनाकर उसकी पूजा करते हैं। घर का कोई पुत्र उसकी चाकू से गर्दन काटता है।
कुड़वा लेने की भी परंपरा
किसी के घर लड़का हो या नई शादी हुई हो तो कुड़वा रा लेने की परंपरा है इस दिन चंद्रमा की भी पूजा करते हैं, जिन लोगों के यहां दिन की पूजा होती है वह सूर्य की पूजा करते हैं।
♦सकट चौथ की कथा
एक गांव में देवरानी-जेठानी रहती थी, जेठानी बहुत गरीब थी देवरानी बहुत धंनवान थी। देवरानी के घर का काम जेठानी किया करती थी एक दिन संकट चौथ का त्योहार आया जेठानी ने देवरानी से कहा कि आज त्योहार है गुड दे दो तो देवरानी ने मना कर दिया।
सकट देवता ने गरीब जेठानी को किया धन-धान्य से पूर्ण
जेठानी ने अपने घर जाकर उसने कुछ नहीं बनाया बथुआ की टिक्की रोटी बना कर पूजा कर ली। रात को उसके घरवाले ने उसे बहुत मारा आधी रात के करीब सकट देवता आए ,तो बेचारी भूखी प्यासी रो रही थी। सकट देवता ने कहा मुझे भूख लग रही है उसने कहा कि मेरे पास तो कुछ नहीं है, बथुआ की रोटी है इसको खाओ तो खा लो सकट देवता ने खा लिया इसके बाद बोले कि मैं सो जाऊंगा कहां जाऊं जेठा ने कहा कर लो चारो कौने पांचवी दहलीज सकट देवता ने ऐसा ही किया सकट देवता ने कहा कि पौछूं किस्से कब जेठानी ने कहा पूछ लो मेरी ललाट से सकट देवता ने ऐसा ही किया सकट देवता चले गए सुबह उठकर देखा तो सारे घर में हीरा मोती सोना जवाहरात हो गई।
देवरानी ने भी पूछा उपाय
जेठानी ने देवरानी ने कहा कि आज जेठानी काम करने नहीं आई चलो चल कर देखूं देवरानी ने कहा कि उसके घर में तो ढेरों हीरा सोना पड़ा हुआ है, देवरानी ने कहा कि तुम काम करने क्यों नहीं आई जेठानी ने कहा कि अब मैं काम क्यों करुं मुझे तो सकट देवता ने सब कुछ दे दिया देवरानी ने कहा तुमने क्या किया कैसे खुश हुए सकट देवता मुझे बताओ।
घमंडी धनवान देवरानी को सिखाया सबक
जेठानी ने तब सब कुछ उसने उसे बता दिया दूसरे साल जब सकट चौथ आयी तो उसने ऐसा ही खाना बनाया और अपने पति से कहा मुझे मारो रात को सकट देवता आते है, उसने ऐसा ही किया जो जेठानी ने उसे बताया था सकट देवता ने चारों कोने पांचवीं दहलीज में शौच कर ली और उसके ललाट से पौछ लिया सुबह उठकर देखा तो मक्खी भिनभिना रही थी तो देवरानी-जेठानी से लडने लगी जेठानी ने कहा मैंने तो ना होते पैसा किया, तूने तो होते हुए भी ऐसा किया। सकट महाराज जैसी जेठानी पर कृपा करी वैसे ही हम सब पर कृपा करना जय हो सकट महाराज आपकी।