आगरालीक्स…डिग्री और डिप्लोमा सर्टिफिकेट मिले तो खिल उठे स्टूडेंट्स के चेहरे. डीईआई में मनाया गया दीक्षांत समारोह.
दयालबाग़ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (मानित विश्वविद्यालय) का 42वां दीक्षांत समारोह शनिवार को दोपहर 2.30 बजे से विश्वविद्यालय परिसर स्थित ‘शिक्षा-स्रोत भवन’ (दीक्षांत सभागार), डीईआई में आयोजित मनाया गया। इस वर्ष कुल 4828 छात्र- छात्राएँ डीईआई के विभिन्न पाठ्यक्रमों में डिग्री एवं डिप्लोमा के प्रमाण पत्र प्राप्त किए। इसमें 2829 स्नातक डिग्री, 731 स्नातकोत्तर डिग्री, 64 स्नातकोत्तर डिप्लोमा, 559 डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक, 238 हाईस्कूल तथा 318 इंटरमीडिएट डिग्री छात्र- छात्राओं के बीच वितरित की गयी। इस क्रम में विभिन्न स्तरों एवं परीक्षाओं में विशेष योग्यता प्रदर्शित करने वाले विद्यार्थियों को 01 संस्थापक पदक, 03 अध्यक्ष पदक, 149 निदेशक पदक भी वितरित किए गए तथा साथ ही साथ 89 शोध उपाधि (पीएचडी) भी प्रदान की गयी। इस वर्ष दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली में सचिव के पद पर कार्यरत श्री के. संजय मूर्ति, आईएएस, थे और उन्होंने इस अवसर पर दीक्षांत भाषण के माध्यम से विद्यार्थियों एवं विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों को संबोधित भी किया।
अपने दीक्षांत भाषण में, श्री संजय ने कहा कि आज जब आप अमृत काल में अपनी आकांक्षापूर्ण यात्रा शुरू कर रहे हैं, तो यह 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हमारे शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र के उल्लेखनीय परिवर्तन को नोट करने का उपयुक्त अवसर है। भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज के रूप में स्थापित करने का मार्ग और प्रत्येक युवा भारतीय को 21वीं सदी की चुनौतियों और अवसरों का सामना करने के लिए तैयार कर रहा है क्योंकि वे देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहे हैं। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि डीईआई एनईपी 2020 द्वारा प्रस्तावित सुधारों को लागू करने में सबसे आगे रहा है। डीईआई शिक्षा नीति 1975, संस्थापक निदेशक श्रद्धेय डॉ एमबी लाल साहब द्वारा परिकल्पित, मन, शरीर के पोषण की समान समग्र दृष्टि को अपनाती है। मैं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण में उल्लेखनीय प्रभाव डालते हुए संयुक्त राष्ट्र के सभी सत्रह सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देने में डीईआई की प्रगति के लिए उसे बधाई देना चाहता हूँ। राष्ट्र निर्माण, परोपकार और पर्यावरण चेतना के प्रति डीईआई की प्रतिबद्धता मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के अंदरूनी इलाकों में आदिवासियों तक पहुंचने के उनके प्रयासों में स्पष्ट है, जिस तरह से वे आसपास के गांवों के ग्रामीण लोगों की भलाई की देखभाल कर रहे हैं। एनएसएस द्वारा निःशुल्क चिकित्सा एवं ग्रामीण सहायता शिविर और संस्थान में बड़े पैमाने पर हरित और नवीकरणीय ऊर्जा की तैनाती, यमुना नदी के तटों को स्वच्छ और समृद्ध करने की उनकी पहल। यह दूरदर्शी दृष्टिकोण दयालबाग़ के शैक्षिक लोकाचार से मेल खाता है, जो ज्ञान अर्जन के साथ-साथ चरित्र निर्माण पर जोर देता है।
संस्थान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए डीईआई के निदेशक प्रोफेसर सी. पटवर्धन ने कहा कि डीईआई उत्कृष्टता, समावेशिता और सामाजिक प्रभाव के लिए प्रतिबद्ध है। डीईआई न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए एक शक्ति के रूप में भी खड़ा है। “प्रासंगिकता के साथ उत्कृष्टता” हमारा मंत्र है। हम मानव जाति के बीच ‘द लास्ट, द लीस्ट, द लोवेस्ट, एंड द लॉस्ट’ के विकास की दिशा में अपने उल्लेखनीय प्रयासों पर गर्व करते हैं। डीईआई की पहल आदिवासी समुदायों के कल्याण तक फैली हुई है, जो एक समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। डीईआई के दर्शन की एक पहचान प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता में अटूट विश्वास है। हमने प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। डीईआई और इसकी प्रायोजक संस्था रा धा स्व आ मी सत्संग सभा, दयालबाग़ ने 5 अप्रैल, 2023 को यमुना नदी को बहाल करने के लिए एक उल्लेखनीय मिशन शुरू किया।
यह मिशन पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण की दोहरी चुनौती से निपटता है। बढ़ता तापमान और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच चल रहे प्रयासों में नदी के पानी, मिट्टी और तलछट और वनस्पति के परीक्षण के लिए वहाँ प्रयोगशालाएँ स्थापित करना शामिल है। नाव की सवारी की एक श्रृंखला भी शुरू की गई। हमारी सहज और दूरदर्शी दृष्टि ने हमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2024 को अंतर्राष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष घोषित करने से पहले वर्ष 2023 में ही 8 ऊंट पालने के लिए प्रेरित किया। डीईआई विश्व स्वास्थ्य संगठन के कड़े दिशानिर्देशों को पूरा करने के लिए एकीकृत हाइब्रिड चिकित्सा पद्धतियों, हवा और पानी की गुणवत्ता के रखरखाव की दैनिक निगरानी, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों, जैव-बाड़ लगाने और वृक्षारोपण, जल छिड़काव के माध्यम से वायु प्रदूषण नियंत्रण में सक्रिय रूप से योगदान देता है। संस्थान अपनी साझेदारी के माध्यम से, अवसरों के पारस्परिक विस्तार, क्षमता निर्माण, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने, ग्रामीण सांस्कृतिक विविधता से जुड़े हुए स्पेक्ट्रम के माध्यम से भौगोलिक अलगाव या राष्ट्रीय मूल की बाधाओं से परे डीईआई में शिक्षा के विविध लाभों का विस्तार करता है।
कार्यक्रम में परम श्रद्धेय प्रोफेसर प्रेम सरन सत्संगी साहब, अध्यक्ष, शिक्षा सलाहकार समिति, दयालबाग़ एजुकेशनल इंस्टीट्यूट और परम आदरणीय रानी साहिबा की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीईआई एवं राधास्वामी सत्संग सभा, दयालबाग के अध्यक्ष श्री गुर स्वरूप सूद ने की। इस अवसर पर डीईआई उत्पादों और सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें इस महत्वपूर्ण अवसर पर सभी आमंत्रित लोगों और प्रतिभागियों ने भाग लिया और इसकी अत्यधिक सराहना की।