Agra News: The sooner genetic disease is identified, the more affordable the treatment: Dr. Narendra Malhotra…#agranews
आगरालीक्स…आगरा के उजाला सिग्नस रेनबो में अब जेनेटिक बीमारी का इलाज. . डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा—जितनी जल्दी होगी जेनेटिक बीमारी की पहचान उतना ही किफायती इलाज
मशहूर महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि जेनेटिक बीमारियों ही पहचान जितनी जल्दी होगी, उसका इलाज पर खर्च उतना ही कम हो आता है। यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और धीरे-धीरे क्षय होने लगती हैं। इसका इलाज उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल में संभव है। वे शनिवार को श्रीलंका कॉलेज ऑफ ऑब्सटेरिक एंड गायनेकोलॉजिस्ट की 57वीं कांफ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज एक हजार में से छह बच्चे ऐसे पैदा होते हैं जिनमें कुछ न कुछ कमियां होती हैं, जैसे कान के ऊपर गांठ,आंतों की रुकावट, छह अंगुलियां, दिल में छेद, कटा होठ, जीभ के नीचे ततुआ, पेट में गांठ आदि।
इन सब बीमारियों का शल्य चिकित्सा से इलाज किया जा सकता है। कुछ बीमारियां जेनेटिक होती हैं, जिनका कोई इलाज नहीं है। इसलिए जरूरी है कि गर्भ के समय ही जल्द से जल्द जांच कर जेनेटिक बीमारियां का पता लगाया जाए। मां के खून की जांच से बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
रेनबो आईवीएफ की एमडी जयदीप मल्होत्रा ने बांझपन पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि आज इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है। दंपती पर उसका असर केवल सामाजिक ही नहीं बल्कि आर्थिक तौर भी पड़ता है। एक दशक पहले जो कपल आते थे, वहां महिलाएं संक्रमण की समस्या लेकर आती थीं जिसकी वजह से वे मां बनने में सक्षम नहीं होती थीं, लेकिन पुरुष जांच के लिए आगे ही नहीं आते थे। अब कुछ सालों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है और जांच के लिए पुरुष भी सामने आने लगे हैं।
पैनल डिस्कशन में उन्होंने गर्भवती महिलाओं में मानसिक समस्याओं पर विस्तार से जानकारी दी। कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में गर्भवती महिला को सही तरीके से पोषण नहीं मिल पाता है। वह अच्छी डाइट नहीं ले पाती हैं। इस कारण बच्चा का मानसिक विकास नहीं हो पाता है.
गर्भावस्था में कई तरह की भावनाएं आती हैं, और उनमें से सभी अच्छी नहीं होतीं। अगर आप चिंतित महसूस कर रहे हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। चिंता होना आम बात है, खास तौर पर महिला की पहली गर्भावस्था या अनियोजित गर्भावस्था के दौरान। अगर आप अवसाद या चिंता से जूझ रहे हैं, तो यह और भी मुश्किल हो सकता है। डाॅक्टर मल्होत्रा दंपती को भारत की ओर से श्रीलंका कॉलेज ऑफ ऑब्सटेरिक एंड गायनेकोलॉजिस्ट की ओर से आमंत्रित किया गया था।
सैफोग के अंतरराष्ट्रीय डायरेक्टर चुने गए डॉक्टर नरेंद्र मल्होत्रा
इससे पहले 30 सितंबर को सैफोग (साउथ एशिया फेडरेशन ऑफ ऑब्स्ट्रक्शन गायनेकोलॉजी) की कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें दोनों ने अपने अपने कार्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉक्टर जयदीप मल्होत्रा को सैफोग के न्यूजलेटर जर्नल की एडिटर और डॉक्टर नरेंद्र मल्होत्रा को सैफोग का इंटरनेशनल डायरेक्टर चुना गया। डॉक्टर नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि सैफोग का जर्नल देश विदेश में खूब पढ़ा जाता है। इसमें शोध पत्र पब्लिश होते हैं। पिछले 15 साल से मल्होत्रा दंपती इसके एडिटर इन चीफ रहे हैं।
सैफोग के डायरेक्टर नरेंद्र मल्होत्रा ने सभी संस्थाओं के साथ मिलकर वेबिनार में स्त्री रोग विशेषज्ञों से चर्चा की। उन्होंने बताया कि एक जुलाई से सैफोग का मास्टर क्लास कोर्स शुरू किया गया है। यह सभी देशों में दिया जा रहा है। इसमें चार बीमारियों माहवारी, बच्चों की फ्रीडल वेल्विक, एआरटी आईवीएफ और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन के बारे में एक साल तक विस्तार से जानकारी दी जाएगी। यह निःशुल्क है।