आगरालीक्स… आगरा में गणपति बप्पा मोरिया गूंजने लगा है, पीओपी की गणेश प्रतिमा पर प्रतिबंध है, मिटटी के गणपति की पूजा करने पर सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए आप अपना नाम संबंधित थाने और मजिस्ट्रेट के कार्यालय में दर्ज करा सकते हैं। समाजसेवी संस्थाओं द्वारा ईको फ्रेंडली गणपति का की पूजा अर्चना करने के बाद विसर्जन करने वालों को सम्मानित किया जाएगा।
बुधवार से आगरा में घर घर और मंदिरो में गणपति की प्रतिमाएं विधि विधान से स्थापित की गईं। 13 से 23 सितंबर तक गणोशोत्सव की धूम रहेगी। 19 सितंबर को बल्केश्वर महादेव मंदिर से शिव बरात निकाली जाएगी।
पीओपी की मूर्तियों पर रोक

गणेशोत्सव के लिए पीओपी की मूर्तियों पर प्रतिबंध है, एडीएम सिटी केपी सिंह ने आदेश जारी किया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पीओपी की मूर्तियां ना खरीदें, इसमें केमिकल होते हैं, यमुना में विसर्जन करने से प्रदूषण होता है। इसकी जगह मिटटी की मूर्तियां ही खरीदें, विसर्जन के लिए यमुना घाट पर कुंड बनाए जाएंगे। साथ ही मिटटी की प्रतिमाओं की पूजा अर्चना के बाद विसर्जन करने वालों को संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए मजिस्ट्रेट कार्यालय और संबंधित थाने में मिटटी की मूर्ति का ब्योरा दे सकते हैं।
मोदक 300 रुपये प्रति किग्रा से 800 रुपये किग्रा तक
गणोशोत्सव पर स्पेशल थाली में केसर, चंदन, इत्र, मिश्री, इलायची, दीपक, रोली, चावल, सौंफ आदि पूजन सामग्री के साथ 31 तरह के मोदक शामिल हैं। प्रतिष्ठान स्वामी राजेंद्र गुप्ता के अनुसार थाली में गुड़, चना, आटा, पिस्ता, अंजीर, शहद आदि से बने 31 तरह के मोदक रखे जाते हैं। इस थाली की कीमत 831 रुपये है। विभिन्न तरह की दाल और बेसन से बने मोदक अधिक बिकते हैं। चॉकलेट, संतरे, केले, मावे, केसर, कच्चा मावा, भुना मावा, काजू के मोदक भी प्रसाद में चढ़ाए जाते हैं।
टब में करेगा मूर्ति विसर्जन
आगरा में महाराष्ट्र समाज द्वारा पिछले 80 वर्षो से परंपरागत आयोजन किया जा रहा है। होटल ग्रांड, आगरा कैंट में 13 से 16 तक गणोशोत्सव होगा। पहले दिन मूर्ति स्थापना संग कीर्तन होगा। लखनऊ से कीर्तनकार विजय कृष्ण भागवत आ रहे हैं। 14 को सांस्कृतिक कार्यक्रम और 15 को संगीत लहरी होगी। 16 को मूर्ति विसर्जन होगा। महाराष्ट्र समाज के अध्यक्ष अभय पोताड़े ने कहा कि समाज के लोग अपने घरों में मिट्टी की मूर्तियां स्थापित करेंगे। विसर्जन घर में टब में होगा। मूर्ति पानी में घुलने पर उसे बगीची में डाल दिया जाएगा। पॉलीथिन का प्रयोग नहीं करने का देंगे।