
उत्तरप्रदेश से लिए गए मैगी नूडल्स के सैंपल की एफडीए द्वारा कराई गई जांच में मोनोसोडियम ग्लूटामेट और लेड (सीसा) की मात्रा काफी ज्यादा थी। इस रिपोर्ट के बाद एफएसएसएआइ ने इस वर्ष जून में मैगी बनाने और बेचने से लेकर आयात-निर्यात तक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। मैगी नूडल्स को आदमी के खाने के लिए असुरक्षित एवं खतरनाक पाया गया था। इसके बाद ही गोवा के खाद्य व औषधि प्रशासन (एफडीए) ने मैगी नूडल्स के पांच नमूनों को दोबारा जांच के लिए मैसूर स्थित सीएफटीआरआइ के पास भेजे थे। गोवा एफडीए ने मंगलवार को स्पष्ट किया है कि सीएफटीआरआइ ने पाया है कि नमूने खाद्य सुरक्षा एवं मानक नियम, 2011 के तहत खाद्य सुरक्षा मापदंड को पूरा करते हैं।
एमएसजी से बढ़ता है स्वाद
एमएसजी यानी मोनोसोडियम ग्लूटामेट कैसे खाने को स्वादिष्ट और टेस्टी बनाता है? जबकि टमाटर, चीज़, सोयबीन और सूखे मशरूम में यह प्रचुरमात्रा में पाया जाता है।
एमएसजी दूसरे फ्लेवर जैसे नमक और चीनी के साथ मिलकर काम करता है और उमामी फ्लेवर को सक्रिय कर आपके टेस्ट को बढ़ाता है।
हानिकारक भी है एमएसजी
19 वीं शताब्दी में मोनोसोडियम ग्लूटामेट मिलने के बाद दुनियाभर में एमएसजी मिलने की खबर फैल गई। इसके बाद जब लोगों ने इसे चखना शुरू किया, तो उनके लिए यह काफी नहीं था।
इसके बाद एमएसजी हर जगह दिखाई देने लगा जैसे डिब्बे वाले खाद्य पदार्थों सूप, सालाद, स्नैक्स, आइसक्रीम, च्विंग गम, रेडी-टू-इट उत्पाद, बच्चों के खाने आदि सब में एमएसजी ने अपनी जगह बना ली। जब एमएसजी खाने से लोग बीमार पड़ने लगे, तो एक चाइनीज रेस्तरां ने चाइनीज व्यंजनों में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया। एमएसजी खाने के बाद लोगों में एक जैसे ही लक्षण दिखाई देने लगे।
सिर दर्द से लेकर कमजोरी
सिर दर्द, मुंह पर लाली, पसीना, सुन्न होना, चेहरे पर दबाव, छाती पर दर्द, उलटी और कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना लोगों को करना पड़ा। कुछ अध्ययन से पता लगा कि इसके सेवन से बच्चों के दिमाग और आंख पर भी असर पड़ता है।
और आखिरकार इससे होने वाली बीमारियों की वजह से एमएसजी वाले खाद्य पदार्थों को जांच लिस्ट में रखा जाता है।
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