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Cases on public representatives will be returned only on the approval of the High Court
नईदिल्लीलीक्स…. जनप्रतिनिधियों पर चल रहे आपराधिक मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। जानिए पूरा मामला…।
जनप्रतिनिधियों पर चल रहे आपराधिक मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फैसला दिया है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे मामले हाईकोर्ट की मंजूरी के बिना वापस नहीं लिए जाएंगे।
76 मुकदमे वापस लेना चाहती है सरकार
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एमेक्स क्यूरी विजय हंसारिया की रिपोर्ट के बाद आया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, उप्र सरकार मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी विधायकों के खिलाफ 76 मुकदमे वापस लेना चाहती है। कर्नाटक सरकार विधायकों पर 61 मामले वापस लेना चाहती है। महाराष्ट्र और उत्तराखंड सरकारें भी अपने विधायकों पर लगे आपराधिक मुकदमा वापस लेना चाहती है।
आपराधिक मुकदमे वापस नहीं लेंगे
आला अदालत ने कहा है कि हाईकोर्ट की अनुमति के बिना राज्य सरकारें जन प्रतिनिधियों पर चल रहे आपराधिक मुकदमे वापस नहीं लेंगे। कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से कहा है कि वे अपने मुख्य न्यायाधीश को सांसद तथा विधायकों के खिलाफ लंबित, निपटारे की जानकारी दें। सीबीआई कोर्ट व अन्य कोर्ट सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई जारी रखें। सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमों को जल्द निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट जल्द ही स्पेशल बेंच का गठन करेगा।