वहीं, सांसद चौधरी बाबूलाल ने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री सदानंद गोडा ने अवगत कराया है कि प्रदेश सरकार प्रस्ताव भेजे, उस प्रस्ताव पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश की भी सिपफारिश हो, इसके बाद भी आगरा में खंडपीठ स्थापना पर विचार किया जा सकता है।
इसके साथ ही संघर्ष समिति ने दीवानी पर अनशन शुरू कर दिया है, खंडपीठ आंदोलन को तेज करने के लिए एक नई संघर्ष समिति का चुनाव जनवरी 2016 में किया जाएगा।
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ही आगरा में खंडपीठ की स्थापना करा सकती है, केंद्र में बीजेपी की सरकार है। आगरा की जनता द्वारा चुने गए सांसद केंद्रीय मंत्री हैं, वे संघर्ष समिति के सदस्य और चक्काजाम में भी शामिल रहे थे। मगर उनकी सरकार आई और वे मंत्री बन गए तो खंडपीठ स्थापना संभव हो सकती थी, लेकिन वे अब कार्यक्रम तक में शामिल नहीं होते हैं। उन्होंने अपील की है कि जनप्रतिनिधि, व्यापारी और न्यायालय के कार्य का बहिष्कार कर वकील मिलकर संसद के मानसून सत्र के समय दिल्ली में प्रदर्शन करें तो ही खंडपीठ की बात केंद्र सरकार तक पहुंच सकती है। जनसभा में मेयर इंद्रजीत आर्य ने आते ही सभी दलों के नेताओं को एक साथ खडा कर खंडपीठ स्थापना के लिए नारे लगवाए। सभा में विधायक धर्मपाल, सूरजपाल, कालीचरन सुमन, सपा के शहर अध्यक्ष रईसुददीन, कांग्रेस पार्टी के राम टंडन, भाजपा के मोहन चाहर, पीस पार्टी के पदाधिकारी, संघर्ष समिति के जितेंद्र वर्मा आदि मौजूद रहे।
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