डॉक्टर चाहते थे वह बच जाए, सवाल यह कि उसे अस्पताल कौन पहुंचाए और किस अस्पताल में जिससे उसकी जान बच जाए
आगरालीक्स…….वाक्या रविवार रात का है। आइएमए के सक्रिय सदस्य अपनी गाडी से जा रहे थे। एत्माउददौला स्मारक के पास तिराहे पर दो बाइक भिड गई। स्पीड तेज होने से शांति विहार निवासी रंजीत और उनका ममेरा भाई और दूसरी बाइक चला रहे शाहदरा निवासी सईद भी घायल हो गए। वहां भीड लग गई, पुलिस को पफोन करने लगे, दूसरी तरपफ घायल तडप रहे थे। डॉक्टर साहब ने अपनी गाडी रोकी, तीनों घायलों को देखा, रंजीत की हालत गंभीर थी, उसे सीधा लिटा दिया, जिससे सांस लेने में तकलीपफ न हो, आॅटो चालक भी आ गए, लेकिन उन घायलों को हॉस्पिटल तक पहुंचाने के लिए कोई तैयार नहीं था और किस हॉस्पिटल में लेकर जाएं यह भी बडा सवाल था। डॉक्टर साहब ने आॅटो चालक को तुरंत घायलों को हॉस्पिटल ले जाने के लिए 200 रुपये दिए, इसी बीच कोबरा वाले आ गए, वे उन्हें अपने साथ ले गए। वे रात भर सो नहीं सके , सुबह समाचार पत्रों में खबर थी कि रंजीत की मौत हो गई, उसे एक घंटे तक इलाज नहीं मिल सका। सवाल यह है कि एक्सीडेंट में घायलों की जान बचाई जा सके, इसके लिए लोगों को पता होना चाहिए कि क्या करना चाहिए, इसके बाद तुरंत हॉस्पिटल में इलाज मिल सके, इसके लिए जगह जगह हॉस्पिटलों में 24 घंटे इमरजेंसी सेवाओं का बोर्ड लगाकर ठगी बंद होनी चाहिए, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और प्रशासन निर्धारित करे कि किस हॉस्पिटल में मरीज भर्ती किए जाएं, जहां 24 घंटे डॉक्टर मिले। यह कदम उठाया जाए तो सैकडों लोगों की जान बचाई जा सकती है।
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