उसका कहना था कि अगर नाम लिया तो और बड़ी मुश्किल में फंस जाएगा। हालांकि पुलिस का कहना है कि वह खुद को बचाने के लिए झूठ बोल रहा है।
एटा निवासी डीपी सिंह ने आवास विकास में 2014 में ईएमआई फ्री कंपनी खोली थी, उसने ईएमआई कार दिलाने के नाम पर 31-31 हजार और कंपनी की फ्रेंचाइजी के लिए तीन तीन लाख रुपये लिए थे। 10 पफीसद कार की कीमत देने के बाद ईएमआई कंपनी को देनी थी। उसके झासे में आगरा और अलीगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, गुजराज, बिहार, छत्तीसगढ़ तक के लोग आ गए थे।
13 अगस्त को खुला मामला, 31 केस दर्ज
13 अगस्त को उसकी जालसाजी सामने आ गई। लोगों को दिए गए चेक बैंक में बाउंस हो गए। उसके खिलाफ सिकंदरा थाना में 31 केस दर्ज कराए गए थे। इसका पता चलते ही वह 2008 के बुलंदशहर के मामले में जमानत तुड़वाकर जेल चला गया था। सिकंदरा पुलिस ने बुधवार सुबह उसे रिमांड पर लिया।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि कई दस्तावेज फर्जी पाए गए। इसके बाद कंपनी खोलने के लिए इस्तेमाल दस्तावेज के बारे में पूछा तो इनमें भी कई फर्जी मिले। उसने कंपनी खोलने के लिए किसी भी स्तर से कोई अनुमति नहीं ले रखी थी।
फ्रेंचाइजर्स ने बना ली अपनी कंपनी
आरोपी डायरेक्टर डीपी सिंह ने मीडिया को बताया कि उनके कई साथियों ने कंपनी का पैसा उड़ाया है। इनमें कई फ्रेंचाइजर भी शामिल हैं। उन्होंने नए नाम से कंपनी भी खोल ली हैं। उसने कहा कि धोखाधड़ी उसने नहीं की है। यह सब फ्रेंचाइजर्स का किया धरा है।
Leave a comment