Know about Shabnam, who will be the first female criminal to be hanged in India after Independence
आगरालीक्स…आखिर कौन है ये शबनम? जो बनेगी पहली महिला अपराधी जिसे भारत में आजादी के बाद दी जाएगी फांसी. खेला था ऐसा खूनी खेल, जिसने देश को हिला दिया था.
प्रेमी के लिए परिवार को दी थी मौत
अमरोहा के हसनपुर शहर से सटे बावनखेड़ी के छोटे से गाँव के लोग, आज भी 14-15 अप्रैल, 2008 की रात को हुई भीषण घटना को याद कर सिहर उठते हैं. यह वह दिन था जब शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाइयों अनीस और राशिद, भाभी अंजुम और उसकी बहन राबिया की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी. यही नहीं शबनम ने अपने दस माह के भतीजे अर्श की भी गला दबाकर हत्या कर दी थी. शबनम ने इन सभी परिवार के सदस्यों को इसलिए मार डाला क्योंकि वे सलीम के साथ उसके प्रेम संबंध के रास्ते में बाधा बन रहे थे.
15 जुलाई 2010 को जज ने दी थी फांसी की सजा
मामले की सुनवाई अमरोहा की अदालत में दो साल और तीन महीने तक चली थी. जिसके बाद, 15 जुलाई 2010 को, जिला न्यायाधीश एसएए हुसैनी ने फैसला सुनाया कि शबनम और सलीम को मृत्यु तक फांसी दी जानी चाहिए. शबनम-सलीम मामले में, जिरह लगभग 100 तारीखों तक चली. फैसले के दिन, न्यायाधीश ने 29 गवाहों के बयानों को सुना और 14 जुलाई, 2010 को शबनम और सलीम दोनों को दोषी ठहराया. अगले दिन, 15 जुलाई 2010 को न्यायाधीश एसएए हुसैनी ने दोनों को केवल 29 सेकंड में मौत की सजा सुनाई. इस मामले में, 29 लोगों से 649 प्रश्न पूछे गए थे. निर्णय 160 पृष्ठों में लिखा गया था.
सुप्रीम कोर्ट के बाद राष्ट्रपति ने भी खारिज की याचिका
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि शबनम ने निचली अदालत के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन शीर्ष अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था. इसके बाद, शबनम और सलीम ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी, लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई. शबनम भारत की आजादी के बाद फंसी पहली महिला कैदी होंगी. शबनम फिलहाल बरेली में सलाखों के पीछे है, जबकि सलीम आगरा जेल में बंद है.