Know the importance and worship method of Padma Ekadashi
आगरालीक्स(12 September 2021)…भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 17 सितंबर को. अनेकों गायों के दान करने का मिलता है पुण्य.
17 सितंबर शुक्रवार है एकादशी
पद्मा एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी और देवझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। यह इस बार 17 सितंबर शुक्रवार को है। अलीगढ़ के पंडित ह्रदय रंजन शर्मा ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार मास के श्रवण के पश्चात करवट बदलते हैं. निद्रामग्न भगवान के करवट परिवर्तन के कारण ही अनेक शास्त्राें में इस एकादशी काे वामन और पार्शव एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी का व्रत करने पर अनेक गौ दान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होने के विषय में कहा गया है। इस दिन उपवास कर, पांच रंगों का प्रयोग कर पद्म बनाकर विष्णु जी कि पूजा- अर्चना की जाती है।
जलझूलनी एकादशी भी कहते हैं
उन्होंने बताया कि इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन रूप की पूजा भी की जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है। इस एकादशी के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण के वस्त्र धोए थे। इसी कारण से इस एकादशी को जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है।
कैसे करें पूजन
इस व्रत काे करने के लिए पहले दिन हाथ में जल का पात्र भरकर व्रत का सच्चे मन से संकल्प करना हाेता है। प्रातः सूर्य निकलने से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत हाेकर भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करने का विधान है। धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प मिष्ठान और फलाें से विष्णु भगवान का पूजन करने के पश्चात अपना अधिक समय हरिनाम संकीर्तन और प्रभु भक्ति में बिताना चाहिए। कमलनयन भगवान का कमल पुष्पाें से पूजन करें, एक समय फलाहार करें और रात्रि काे भगवान का जागरण करें। मंदिर में जाकर दीपदान करने से भगवान अति प्रसन्न हाे जाते हैं और अपने भक्ताें पर अत्यधिक कृपा करते है।