Kushgrahani Amavasya tomorrow, break Kusha on this day for religious works #agranews
आगरालीक्स…भादो की अमावस्या को ही एकत्रित की जाती है कुशा. अमृत तत्व से युक्त होती है कुशा. जानिए भाद्रपद अमावस्या के बारे में और इसका महत्व.
धार्मिक कार्यों के लिए आज के दिन तोड़ें कुशा
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि कुशोत्पाटिनी अमावस्या छह सितंबर सोमवार को है। हिन्दू धर्म में अमावस्या की तिथि पितरों की आत्म शांति, दान-पुण्य और काल-सर्प दोष निवारण के लिए विशेष रूप से महत्व रखती है। भाद्रपद की इस अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिये कुशा एकत्रित की जाती है। कहा जाता है कि धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में इस्तेमाल की जाने वाली कुशा यदि इस दिन एकत्रित की जाए तो वह पुण्य फलदायी होती है। अध्यात्म और कर्मकांड शास्त्र में प्रमुख रूप से काम आने वाली वनस्पतियों में कुशा का प्रमुख स्थान है। इसका वैज्ञानिक नाम Eragrostis cynosuroides है। इसको कांस अथवा ढाब भी कहते हैं। उन्होंने बताया कि यदि भाद्रपद अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इस कुशा का उपयोग 12 सालों तक किया जा सकता है
अमृत तत्व से युक्त है कुशा
उन्होंने बताया कि जिस प्रकार अमृतपान के कारण केतु को अमरत्व का वर मिला है, उसी प्रकार कुशा भी अमृत तत्त्व से युक्त है। अत्यन्त पवित्र होने के कारण इसका एक नाम पवित्री भी है। इसके सिरे नुकीले होते हैं। इसको उखाड़ते समय सावधानी रखनी पड़ती है कि यह जड़ सहित उखड़े और हाथ भी न कटे। कुशोत्पाटिनी अमावस्या मुख्यत: पूर्वान्ह में मानी जाती है। भाद्रपद्र कुशोत्पाटिनी अमावस्या व्रत में किये जाने वाले धार्मिक कर्म स्नान, दान और तर्पण के लिए अमावस्या की तिथि का अधिक महत्व होता है।
भाद्रपद कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन किये जाने वाले धार्मिक कार्य इस प्रकार हैं
इस दिन प्रातःकाल उठकर किसी नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करें।
नदी के तट पर पितरों की आत्म शांति के लिए पिंडदान करें और किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।
इस दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए पूजा-अर्चना भी की जा सकती है।
अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों को स्मरण करें। पीपल की सात परिक्रमा लगाएं।
अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करना जरूरी है।
भाद्रपद अमावस्या का महत्व
पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:
कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया
मान्यता है कि घास के इन दस प्रकारों में जो भी घास सुलभ एकत्रित की जा सकती हो, इस दिन कर लेनी चाहिये। लेकिन ध्यान रखना चाहिये कि घास को केवल हाथ से ही एकत्रित करना चाहिये और उसकी पत्तियां पूरी की पूरी होनी चाहिये। आगे का भाग टूटा हुआ न हो। इस कर्म के लिये सूर्योदय का समय उचित रहता है। इनमें जो भी आपको मिल सके, उसे पूजा के समय या धार्मिक अनुष्ठान के समय ग्रहण करें।
ऐसे कुश का प्रयोग वर्जित
जिस कुश का मूल सुतीक्ष्ण हो, अग्रभाग कटा न हो और हरा हो, वह देव और पितृ दोनों कार्यों में वर्जित होता है।
कुश उखाड़ने की प्रक्रिया
अमावस्या के दिन दर्भस्थल में जाकर व्यक्ति को पूर्व या उत्तर मुख करके बैठना चाहिए। फिर कुश उखाड़ने के पूर्व निम्न मंत्र पढ़कर प्रार्थना करनी चाहिए।
कुशाग्रे वसते रुद्र: कुश मध्ये तु केशव:
कुशमूले वसेद् ब्रह्मा कुशान् मे देहि मेदिनी
विरञ्चिना सहोत्पन्न परमेष्ठिन्निसर्गज
नुद सर्वाणि पापानि दर्भ स्वस्तिकरो भव
मंत्र पढ़ने के बाद “ऊँ हूँ फट्” मंत्र का उच्चारण करते कुशा दाहिने हाथ से उखाड़ें। इस वर्ष आपके घर जो भी पूजा या धार्मिक कार्यों का आयोजन हो, उसमें इस कुश का प्रयोग करें। यह पूरे वर्षभर के लिए उपयोगी और फलदायी होता है।
ये है मान्यता
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि यह पौधा पृथ्वी लोक का पौधा न होकर अंतरिक्ष से उत्पन्न माना गया है। मान्यता है कि जब सीता जी पृथ्वी में समाई थीं तो राम जी ने जल्दी से दौड़ कर उन्हें रोकने का प्रयास किया, किन्तु उनके हाथ में केवल सीता जी के केश ही आ पाए। ये केश राशि ही कुशा के रूप में परिणत हो गई। सीतोनस्यूं पौड़ी गढ़वाल में जहां पर माना जाता है कि माता सीता धरती में समाई थी, उसके आसपास की घास अभी भी नहीं काटी जाती है। भारत में हिन्दू लोग इसे पूजा /श्राद्ध में काम में लाते हैं। श्राद्ध तर्पण बिना कुशा के सम्भव नहीं हैं। कुशा से बनी अंगूठी पहनकर पूजा /तर्पण के समय पहनी जाती है, जिस भाग्यवान् की सोने की अंगूठी पहनी हो, उसको जरूरत नहीं है। कुशा प्रत्येक दिन नई उखाड़नी पडती है लेकिन अमावस्या की तोड़ी कुशा पूरे महीने काम दे सकती है।
यह है तिथि
अमावस्या तिथि आरंभ – 07:38: बजेसे (06 सितंबर 2021)
अमावस्या तिथि समाप्त प्रातः – 06:21:बजे (07 सितंबर 2021 )