वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोठारी के पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि करीब एक माह से वह अपने पुत्र दीपक कोठारी के पास अहमदाबाद आ गए। बीती रात उनकी हालत बिगड़ी और रात करीब तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
1.25 रुपए से करियर की शुरुआत
एक छोटे से गांव निराली में जन्मे मनसुख अपने आठ भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत महज 1.25 रुपये की दिहाड़ी से की थी। लेकिन आगे बढऩे की सोच और मेहनत करने की चाह कभी न खत्म हुई और न ही कभी धीमी। यही वजह थी कि वह पान मसाले के कारोबार में एक बड़ा नाम बनकर सामने आए। उनके द्वारा शुरू किया गया ‘पान परागÓ आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
बड़ा ब्रांड
मनसुख भाई ने बहुत ही छोटे स्तर पर पान पराग के नाम से अपने गुटखा व्यवसाय की शुरुआत 18 अगस्त 1973 में की थी। उस वक्त कोई नहीं जानता था कि यह एक बड़ा ब्रांड बन जाएगा। लेकिन अस्सी के दशक में इस ब्रांड ने तहलका मचा दिया था और यह हरदिल अजीज हो गया। उन्हें 1987 में राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा था।
उपलब्धियां
वर्ष 1973 को “पान पराग” का शुभारंभ।
वर्ष 1983 कोठारी प्रोडक्ट्स प्राइवेट के रूप में शुरुआत।
वर्ष 1983-1987 पान पराग एकल सबसे बड़ा टीवी पर विज्ञापनदाता और पान मसाला 1983-1987 की अवधि में बड़ा ब्रांड बन गया।
वर्ष 1985 स्वचालित और आधुनिकीकरण प्लांट में पाउच के क्रांतिकारी पैकिंग में पान मसाला का शुभारंभ।
वर्ष1987 पान पराग के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया।
वर्ष 1988 बजट वाशिंग पाउडर का शुभारंभ। राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सम्मानित किया।
वर्ष 1995 कोठारी प्रोडक्ट्स लिमिटेड एक सूचीबद्ध कंपनी बन गई। मिनरल वाटर हाँ का शुभारंभ।
वर्ष 2003 पराग सुपारी के लिए एफएमसीजी पुरस्कार 2003 प्राप्त। , पराग साडा और 28 मई को पान पराग प्रीमियम सुप्रीम की शुरुआत।
वर्ष 2003 सबसे पसंदीदा ब्रांड के लिए 2004 का उपभोक्ता दुनिया पुरस्कार प्राप्त मेरा ब्रांड।
वर्ष 2005 नोएडा में कोठारी इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना।