सहायक निदेशक (हस्तशिल्प) के अनुसार आगरा में पच्चीकारी कार्य की प्रतिष्ठा मुगल काल से हुई थी, जिसका उत्कृष्ट नमूना ताजमहल एवं एत्माद्दौला है। इन्हें देखने पर मन में पच्चीकारी के प्रति रुझान बढ़ता गया। रफीकुद्दीन का जन्म आगरा में एक जरदोजी परिवार में हुआ। इनके पिता राफीउद्दीन, जरी काम में एक कुशल कारीगर थे।
रफीकुद्दीन ने अपनी परम्परागत कला से अलग जाकर अपने संगमरमर पर जड़ाऊ काम में रुचि को दिखाई। रफीकुद्दीन ने उस समय के प्रसिद्ध कारीगर निजामुउद्दीन के साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया। निजामुद्दीन ने इन्हें संगमरमर पर जड़ाऊ काम की बारीकियों के बारे में शिक्षा दी।
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