आगरालीक्स…आगरा के दयालबाग में अनूठी होली— मेरे सतगुरु आप खिलाए रहे, मैं कैसे ना खेलूँ री होरी…
सेवा, आरती व भजन की बंदगी करते हुए मनाई होली
दयालबाग में होली का पर्व हमेशा की तरह आध्यात्मिक रूप से गुरु के चरणों में सेवा, आरती, भजन बंदगी करते हुए मनाया गया. 29 मार्च को प्रातः 2:30 बजे से खेतों का कार्यक्रम बायो—डायवर्सिटी पार्क में आयोजित किया गया. ठीक 3:45 बजे आरती आरंभ हुई जिसका सीधा प्रसारण देश—विदेश की 500 से अधिक ब्रांचों एवं सतसंग केंद्रों पर किया गया. इसके अतिरिक्त इंटरनेट के विभिन्न माध्यमों (ऑडियो व वीडियो) द्वारा लगभग 5,00,000 सतसंगी शामिल हुए. आरती के दौरान होली के शब्द पाठ व सूफ़ी क़व्वालियाँ प्रस्तुत की गईं. खेतों में लगभग 4000 सतसंगी पुरुष, महिलाएं, युवा, वृद्ध एवं बच्चे शामिल हुए. सभी उपस्थितजनों को एक कप चाय, गौशाला का एक का शुद्ध गर्म दूध, एक—एक केला तथा एक गुझिया का प्रसाद प्रदान किया गया. अपराह्न 2:30 बजे से होली का स्पेशल सत्संग खेतों में आयोजित हुआ जिसमें लगभग 5 हज़ार सतसंगी भाई—बहनों ने भाग लिया.
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होली शब्द पाठ और कव्वालियां आयोजित कीं
स्पेशल सत्संग में पूज्यनीय रानी साहिबा की पार्टी ने तथा अन्य समूहों ने होली शब्द पाठ एवं क़व्वालियाँ प्रस्तुत कीं. इसके बाद प्रीतिभोज हुआ एवं समस्त उपस्थितजनों को गुलाल का टीका लगाया गया. इलाइचीदाना व खुरमा का प्रसाद वितरित किया गया. सुपरमैन स्कीम के बच्चों ने भी पीटी तथा ताइक्वांडो का अति उत्तम प्रदर्शन किया.
ऐसी होली रचाई दयाल ने,
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राधास्वामी घर बाढ़ो रंग। मैं तो खेलूंगी ऐसी होली उमंग।।
मेरे गुरू ने खिलाई प्रेम संग होरी। मैं तो होय रही सब जाग से बौरी।।
उमँड़ घुमड़ कर खेली होली। सुमति ज्ञान संग भर लई झोली।।