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Shani Amavasya Tomorrow: Worship can relieve suffering @ agranews
आगरालीक्स…। शनि अमावस्या कल चार दिसम्बर को मनाई जाएगी। पूजा-अर्चना से कर सकते हैं कष्टों को दूर।
ज्योतिषाचार्य पं हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक शनि देव सूर्य देव के पुत्र हैं, वह अन्य पुत्रों की अपेक्षा विपरीत स्वभाव के हैं। भगवान सूर्य और छाया पुत्र शनि देव क्रूर ग्रह माने जाते हैं। क्रूर ग्रह का अर्थ शनि देव के संदर्भ में यह है कि वह अपने दायित्व और व्यवहार में अति कठोर हैं, किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं करते, उन्हें न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है।
प्रकृति का संतुलन बनाते हैं न्याय के देवता
शनि देव को विधाता ने प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए न्याय का कार्य सौंपा है शनि देव के कारण ही भगवान गणेश का सिर छेदन, भगवान राम को वनवास, महाबली रावण का संहार, राजा हरिश्चंद्र को अपार कष्ट, पांडवों का वनवास और राजा विक्रमादित्य को कष्ट उठाना पड़ा। महादशा अंतर्दशा साढ़ेसाती दशा या गोचर में शनि देव नीच के पाप ग्रह से युक्त हो उन्हें विशेष पूजा पाठ व दान-पुण्य की आवश्यकता होती है।
ऐसे करें शनिदेव की सेवा
-यदि शनि की महादशा अंतर्दशा अधिक खराब है तो ऐसे व्यक्ति को घर के नौकरों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
-प्रतिमाह अपनी आय का कुछ हिस्सा गरीब अनाथ दीन हीन वह दुखी असहाय लोगों के लिए निकालें सहायता करें।
शनि अमावस्या या शनि प्रदोष के दिन किसी मंदिर प्रांगण या अन्य किसी भी स्थान पर पीपल का वृक्ष लगाएं और उसकी देखभाल अवश्य करें।
-लोहे की कड़ाही में सवा किलो सरसों का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा समस्या बोलकर देखें। कढ़ाई समय छाया दान अवश्य करें।
-कम से कम 9 शनिवार तक गरीबों को भोजन कराएं। मिठाई, काला, कपड़ा, जूता दान करें काला कपड़ा, काला उड़द, काले तिल, लोहे का सामान, काले पुष्प व सरसों के तेल से शनिदेव की पूजा पाठ अवश्य करें
-शनि मंत्र का जाप शनि चालीसा शनि स्त्रोत का पाठ लाभप्रद रहता है।
-वृश्चिक धनु एवं मकर राशि के लोगों को विशेष पूजा पाठ करना आवश्यक है क्योंकि इन तीनों राशियों पर साढ़े साती का प्रभाव सर्वाधिक है।