Special on Rath Yatra: Jagannath Dham is the heaven of the earth, this temple is full of many thrilling mysteries along with Brahma substance
आगरालीक्स… श्री जगन्नाथ रथयात्रा 20 जून को है। जगन्नाथ धाम की महिमा, ब्रह्म पदार्थ समेत अनेक रहस्य हैं यहां पर, जानिये विस्तार से।
धरती का बैकुंठ है श्री जगन्नाथ धाम
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा बताते हैं कि पुराणों में जगन्नाथ धाम की काफी महिमा है, इसे धरती का बैकुंठ भी कहा गया है।
भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की होती है पूजा
जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा सबसे दाई तरफ स्थित है। बीच में उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमा है। बIई तरफ उनके बड़े भाई बलभद्र (बलराम) विराजते हैं। महाप्रभु जगन्नाथ (श्री कृष्ण) को कलियुग का भगवान भी कहते है…. l
भगवान जगन्नाथ का ब्रह्म पदार्थ कोई नहीं देख सकता
🌻 इनका काष्ठ आवरण हर 12 साल के बाद बदल दिया जाता है। मगर लठ्ठा वैसा ही रहता है। जब मंदिर के पुजारी इस लठ्ठे को बदलते हैं तो उनकी आंखों पर पट्टियां बंधी रहती हैं और हाथ कपड़े से ढंके रहते हैं। ऐसे में पुजारी न तो इसे देख पाते हैं और न ही छू पाते हैं । ऐसा माना जाता है कि जो कोई इसे देख लेगा उसकी मौत हो जाएगी l उस समय सुरक्षा बहुत ज्यादा होती है.कोई भी मंदिर में नही जा सकता। मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है.पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है.पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है..वो पुरानी मूर्ती से “ब्रह्म पदार्थ” निकालता है और नई मूर्ती में डाल देता है।
ब्रह्म पदार्थ सिर्फ महसूस किया है पुजारियों ने
ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आज तक किसी को नही पता.इसे आज तक किसी ने नही देखा. ये एक अलौकिक पदार्थ है जिसको छूने मात्र से किसी इंसान के जिस्म के चिथड़े उड़ जाए.इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है.मगर , आज तक कोई भी पुजारी ये नही बता पाया की महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ती में आखिर ऐसा क्या है ??? कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने उसे हाथमे लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था आंखों में पट्टी थी हाथ मे दस्ताने थे तो हम सिर्फ महसूस कर पाएl
🌷 जगन्नाथ धाम के हैरान करने वाले रहस्य
☀️ जगन्नाथ मंदिर 4 लाख वर्गफुट में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर की इतनी ऊंचाई के कारण ही पास खडे़ होकर भी आप गुंबद नहीं देख सकते।
🌸 भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज अंदर सुनाई नहीं देती, जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देंगी l आपने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे, लेकिन इस जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई भी पक्षी या विमान नहीं उड़ पाता है।
🔥 मंदिर के पास हवा की दिशा भी हैरान करती है। ज्यादातर समुद्री तटों पर हवा समंदर से जमीन की तरफ चलती है। लेकिन, पुरी में ऐसा बिल्कुल नहीं है यहां हवा जमीन से समंदर की तरफ चलती है और यह भी किसी रहस्य से कम नहीं है। आम दिनों में हवा समंदर से जमीन की तरफ चलती है। लेकिन, शाम के वक्त ऐसा नहीं होता है भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित 20 फीट का ट्रायएंगुलर ध्वज ( झंडा ) लहराता है इसे रोजाना बदला जाता है। झंडा हमेशा हवा की उल्टी दिशामे लहराता है l एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदलता है। इसे बदलने का जिम्मा चोला परिवार पर है वह इसे 800 साल से करती चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा l
🌟 भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, जो हर दिशा से देखने पर आपके मुंह आपकी तरफ दीखता है।विज्ञान के अनुसार, किसी भी चीज पर सूरज की रोशनी पड़ने पर उसकी छाया जरूर बनती हैं। मगर इस मंदिर के मुख्य शिखर की कोई छाया या परछाई दिन में किसी भी समय नहीं बनती, दिखती ही नहीं है l
*💥 भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, जिसे लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है, इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है।
बताया जाता है कि इस मंदिर में भक्तों के लिए बनने वाला प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता है। मंदिर का कपाट बंद होते ही बचा हुआ प्रसाद खत्म हो जाता है। 500 रसोइए अपने 300 सहयोगियों के साथ प्रसाद बनाते हैं।
चार धामो मे से एक है जगन्नाथ धाम
जगन्नाथ पुरी हिन्दू धर्म के चार धाम बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी में से एक है। कहा जाता है तीन बद्रीनाथ, द्वारिका और रामेश्वरम की यात्रा करनी चाहिए उसके बाद ही जगन्नाथ पुरी आना चाहिए।