The fast of Rangbharni (Amalaki) Ekadashi is the best
आगरालीक्स… रंगभरनी (आमलकी) एकादशी 25 मार्च को मनाई जाएगी। इस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ और पापों को नष्ट करने वाला माना जाता है।
श्रीगुरु ज्योतिष शोध संस्थान अलीगढ़ के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पं. हृदय रंजन शर्मा ने कथा का महात्म्य
बताया कि आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में उसी प्रकार स्थान प्राप्त है, जैसा नदियों में गंगा को प्राप्त है। देवों में भगवान विष्णु को। भगवान विष्णु ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
मोक्षदायिनी इस एकादशी का व्रत
भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं, उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
आमलकी एकादशी व्रत विधि
स्नान करके भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और जल लेकर संकल्प करें कि मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता एवं मोक्ष की कामना से आमलकी एकादशी का व्रत रखता हूं। मेरा यह व्रत सफलता पूर्वक पूरा हो इसके लिए श्री हरि मुझे अपनी शरण में रखें। संकल्प के पश्चात भगवान की पूजा करें।
–भगवान की पूजा के पश्चात पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें।
–पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमत्रित करें। कलश में सुगन्धी और पंच रत्न रखें। कलश के कण्ठ में श्रीखंड चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं।
–अंत में कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुराम जी की पूजा करें। रात्रि में भगवत कथा व भजन कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें।
श्रीहरि की शक्ति कष्टों को हरती है
भगवान श्रीहरि की शक्ति हमारे सभी कष्टों को हरती है। यह मनुष्य की ही नहीं, अपितु देवताओं की रक्षा में भी पूर्णतया समर्थ है। इसी शक्ति के बल से भगवान विष्णु ने मधु-कैटभ नाम के राक्षसों का संहार किया था। इसी शक्ति से उत्पन्ना एकादशी बनकर मुर नामक असुर का वध करके देवताओं के कष्ट को हरकर उन्हें सुखी किया था।