सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल रणधीर सिंह ने कहा कि इंटेलिजेंस से मिले इनपुट के आधार पर उग्रवादी भारत में हमले की बड़ी साजिश रच रहे थे। इंडो-म्यांमार बार्डर पर छिपे उग्रवादियों के खात्मे के लिए हमने म्यांमार सरकार से बात की। इसके बाद सीमा पार जाकर नागालैंड और मणिपुर सीमा पर दो अलग-अलग ठिकानों पर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। हमला करने वाले उग्रवादियों के 2 ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश की सेना के साथ हमारे अच्छे संबंध है, भविष्य में भी आतंकवाद से लड़ने के लिए मदद ली जाएगी।
म्यांमार से सटी भारत की सीमा 1643 किलोमीटर लंबी है। दोनों सीमाओं के बीच आज तक फेंसिंग नहीं हुई। दोनों देशों के सुरक्षा बल अपने इलाकों में 16 किलोमीटर अंदर तक आजादी से आवाजाही करने की इजाजत देते हैं। यही वजह है कि 4 जून को उग्रवादी मणिपुर में हमला करने के बाद म्यांमार की तरफ भाग निकले। पूर्वोत्तरी राज्यों में कम से कम 24 उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं। इनमें से अधिकतर के ट्रेनिंग कैम्प म्यांमार और भूटान में हैं।
सेना ने चलाए ऑपरेशन
– 1971 : पाकिस्तान से जंग के दौरान हमारी सेना बांग्लादेश में घुसी और उसे आजाद कराया।
– 1987 : लिट्टे को बेअसर करने के लिए भारत ने अपने शांति रक्षा बलों के 50 हजार जवानों को श्रीलंका के जाफना में उतारा। हमारी सेना के 1200 जवान शहीद हुए। अभियान 1990 तक चला।
– 1988 : तख्तापलट की कोशिशें नाकाम करने के लिए मालदीव ने भारत से मदद मांगी। भारत ने सेना के 1400 कमांडो माले में उतारे। विद्रोहियों का बड़े पैमाने पर सफाया किया।
– 1995 : पूर्वोत्तर के उग्रवादियों के कैम्प नष्ट करने के लिए सेना ने म्यांमार में प्रवेश किया। यह ऑपरेशन गोल्डन बर्ड कहलाया। 40 उग्रवादियों को मार गिराया गया।
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