शुक्रवार से दो दिवसीय ‘दृष्टि 2015’ द्वारा डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में आयोजित समारोह में नेत्रहीनों की समस्याओं पर चर्चा हुई। दूसरे सत्र में 150 नेत्रहीन लोगों के ताजमहल विजिट पर बनी फिल्म का प्रीमियर किया गया। इसी दौरान एमएसडब्ल्यू विभाग के प्रोफेसर स्व. डॉ. मुकुल श्रीवास्तव को याद किया गया।
पहले सत्र में श्रीधर उपाध्याय ने स्मार्ट सिटी योजना में नेत्रहीनों की जगह न होने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा यह अच्छी बात है कि आगरा स्मार्ट सिटी के लिए चयनित किया गया है। लेकिन इसकी योजना बनाते समय नेत्रहीनों का पक्ष नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह देशभर में घूमते हैं। दिल्ली और कोलकाता में सीमित जगहों पर ब्रेल में लिखे हुए मार्ग संकेतक मिले। श्रीधर ने स्मार्ट सिटी को लेकर कई सुझाव भी पेश किया।
श्रीधर ने कहा कि जिस तरह दशकों पहले दलितों के साथ व्यवहार होता था, वैसा ही व्यवहार आज नेत्रहीन लोगों के साथ हो रहा है। जब ईश्वर ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया तो क्यों समाज में नेत्रहीनों के साथ भेदभाव हो रहा है।
प्राइमरी स्कूल में शिक्षक सिप्पी गुप्ता ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि नेत्रहीनों को दया की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि वह उन बच्चों को अंग्रेजी और कंप्यूटर सिखाती हैं, जो देख सकते हैं। सिप्पी ने लोगों से अपील की कि नेत्रहीन बच्चों को घर में छिपाकर न रखें या केवल नेत्रहीन विद्यालय में न भेजें। बल्कि इन बच्चों को सामान्य स्कूलों में भेजना चाहिए। सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन ने किया।
दूसरा सत्र में सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर स्व. डॉ. मुकुल श्रीवास्तव को याद किया गया। इस दौरान वर्ष 2014 के दृष्टि 2014 कन्वेंशन की शुरुआत में दिए गए व्याख्यान का वीडियो प्रदर्शित किया गया। इस सत्र में इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के निदेशक दिवाकर खरे ने कहा कि विश्वविद्यालय के विकास और समाज में डॉ. मुकुल श्रीवास्तव का बड़ा योगदान रहा। एमएसडब्ल्यू विभागाध्यक्ष डॉ. रणवीर सिंह, राजीव वर्मा, मोहम्मद अरशद, मोहम्मद हुसैन ने भी उन्हें याद किया। इस सत्र का संचालन नीतीश गौड़ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अंतरदृष्टि संगठन के सीईओ अखिल श्रीवास्तव ने किया।
ताजमहल को महसूस करने पहुंचे 150 ब्लाइंड स्टार्स
नेत्रदान को बढ़ावा देने को लेकर शुक्रवार से शुरू हुए ‘दृष्टि 2015’ समारोह में 150 नेत्रहीन लोगों के ताजमहल विजिट पर बनी फिल्म का प्रीमियर किया गया। यह फिल्म पिछले वर्ष ‘दृष्टि 2014’ के दौरान तैयार की गई थी।
मन की आंखों से ताज देखने की इस फिल्म के प्रीमियर को देखकर लोग चौंक गए। फिल्म में लोगों ने देखा कि नेत्रहीन लोगों ने छूकर और गाइड की बातों को सुनकर ताजमहल के बारे में जाना। एक-एक करके वे सभी इसे छूकर ताज के इतिहास के बारे में आपस में चर्चा कर रहे थे। यहां वे ताजमहल की दीवारों पर बने संगमरमर फूलों को महसूस किया। वे सभी बता रहे थे, ये गुलाब का फूल है तो ये अन्य फूल हैं।
आज 16 लघु फिल्मों का प्रदर्शन
दृष्टि 2015 समारोह के दूसरे दिन शनिवार को सुबह साढ़े दस बजे 16 लघु फिल्मों का प्रदर्शन होगा। ये फिल्मों क्रिएटिव कांटेस्ट के तहत देशभर से आईं हैं। समारोह में सूरदास नेत्रहीन विद्यालय, कीठम के नेत्रहीन छात्रों द्वारा ‘अबे, अंधा है क्या’ नाटक का मंचन होगा। यह नाटक खासतौर पर स्मार्ट सिटी में अपनी सुविधाओं को लेकर छात्रों ने खुद ही तैयार किया है। समारोह का समापन क्रिएटिव कांटेस्ट के विजेताओं को पुरस्कार देने के साथ होगा।
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