आगरालीक्स…आगरा में अभिनेत्री कंगना रानौत के खिलाफ दायर वाद कोर्ट ने किया खारिज. जज ने कहा—नहीं स्पष्ट हुआ कि किस प्रकार मानहानि हुई…
आगरा में अभिनेत्री कंगना रानौत को दायर वाद के खारिज होने से राहत मिली है. आगरा की कोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत के खिलाफ दर्ज राष्ट्रद्रोह और मानहानि के तहत दायर वाद को विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी—एमएलए) अर्जुन ने खारिज कर दिया है. यह वाद राजवी गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सीनियर अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने 23 नवंबर 2021 को कोर्ट में दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था.
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ये है मामला
राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने 23 नवंबर को कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अभिनेत्री कंगना रानावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा था. अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा के अनुसार 17 नवंबर को उन्होंने अभिनेत्री द्वारा महात्मा गांधी के प्रति अपमानजनक एवं अमर्यादित टिप्पणी व पोस्ट को पढ़ा. इसमें आजादी भीख में मिली तथा महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धान्त का मजाक उड़ाया था. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा न कर अपने कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व का पालन नहीं किया. उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने भी गांधी जी पर अभद्र टिप्पणी की जिस पर भी पीएम ने मौन साध लिया था. इससे करोड़ों देशवासियों की भावना को ठेस पहुंचाई है.
जज ने ये कहा
इस मामले में विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी—एमएलए) अर्जुन ने पत्रावली के अवलोकन के बाद पेप्सी फूड्स लिमिटेड बनाम स्पेशन न्यायिक मजिस्ट्रेट 1998 और पंजाब नेशनल बैंक बनाम सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा की नजीद का आधार माना हो वाद को खारिज करने के आदेश दे दिए. उन्होंने कहा कि परिवादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने वाद में यह स्पष्ट नही किया है कि कंगना रानौत के वक्तव्य से किस प्रकार मानहानि हुई. आरोपी ने वादी के खिलाफ कोई अपमानजनक तथ्य नहीं कहा. यह अभिनेत्री का कथन मात्र वक्तव्य है, इसको इस संदर्भ में ग्रहण नहीं किया जा सकता कि उनका उद्देश्य वादी अधिवक्ता की मानहानि करना है. वाद खारिज होने के बाद वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने कहा कि वो अब सेशन कोर्ट में रिवीजन दाखिल करेंगे. उनका कहना है कि यह मामला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और देशभक्त शहीदों के अपमान का है.